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बुद्ध पर निबंध essay writing on Buddha in Hindi बुद्ध जयंती पर निबंध

Buddh Purnima : बुद्ध जयंती का महत्व, निबंध, भाषण
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5 मई को बैशाख पूर्णिमा का दिन है। इस दिन भगवान बुध (बुद्ध) का जन्म हुआ था। writing on Buddha, Buddh Jayanti per speech

इस संसार में बुद्ध जैसा सच्चा ज्ञानी और प्रकाशवान महान व्यक्तित्व कोई और नहीं है। बुद्ध ने स्वयं को कभी भी ईश्वर का रूप या उनका दूत नहीं कहा है। बुध (बुद्ध) ने कभी भी घोषणा नहीं की, वे कोई नया धर्म स्थापित कर रहे। बल्कि बुद्ध एक ऐसा मार्ग स्थापित कर रहे थे, जो लोगों के जीवन को आसान बना रहा था। ‌ उनकी शिक्षा में इस संसार के सत्य की पहचानना है। दुख-निवारण के लिए निर्वाण प्राप्त करना है। नैतिक मूल्यों की स्थापना करना, अहिंसा के मार्ग को प्रशस्त करना, जीवन के दुखों को निर्वाण के माध्यम से दूर करना है।

बुद्ध पर निबंध लेखन lord Buddha

essay writing in Hindi के जरिए छोटे बड़े सभी निबंध आपके लिए प्रस्तुत किया जा रहा है। बुद्ध ने अपनी सारी शिक्षाएं उस समय की प्रचलित भाषा पाली में दी है।

पाली भाषा में बुध का उच्चारण किया जाता है। उनकी वैज्ञानिक विचारधारा को धम्म कहा जाता है। बाद में उनके अनुयायियों ने उनके धम्म मार्ग को पूरी दुनिया तक फैलाया।

नैतिकता और अहिंसा की उनकी विचारधारा को पूरी दुनिया ने प्रेम पूर्वक अपनाया। इसी कारण से बुद्ध शताब्दियों के महापुरुष है। जितने भी बोधिसत्व हुए उन्होंने बुद्ध के धम्म मार्ग को आगे बढ़ाया।

आज दुनिया का सबसे प्राचीन संगठित धम्म बौद्ध धम्म है। बौद्ध मार्ग सबसे प्राचीन होने के साक्ष्य स्पष्ट रूप से पूरी दुनिया में पुरातत्व उत्खनन में प्राप्त हुए हैं। यह दुनिया का एकमात्र ऐसा धर्म है, जो भारत की धरती से निकलकर पूरी दुनिया में प्राचीन समय से अपने अस्तित्व को उजागर किया है।

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बुद्ध पर निबंध 400 शब्द

जीवो पर दया करो, नैतिकता का पालन करो, सत्य और अहिंसा इसका मूल सिद्धांत है, जिसे संयुक्त राष्ट्र संघ (UNO) ने भी अपनाया है। बुद्ध को लोग भगवान भी मानते हैं। बुद्ध की शिक्षाओं से प्रभावित होकर उन्हें भगवान कहा जाता है।
बौद्ध-दर्शन के अनुसार स्वयं बुद्ध ने अपनी शिक्षाओं और दर्शन में ईश्वर का खंडन किया है।

बुद्ध की शिक्षाओं ने एक नई राह आरंभ की है, धम्म मार्ग प्रतिस्थापित करते हुए उन्होंने सांसारिक दुख की विवेचना की और नैतिक नियमों की पालन करने पर बल दिया, जिसे लोगों ने अपनाया।

दुनिया का सबसे पुराना (साक्ष्य के आधार पर) और वर्तमान में इस धर्म के अनुयायियों की संख्या पूरी दुनिया में है। पांचवी शताब्दी में दुनिया का सबसे बड़ा धर्म बौद्ध धर्म था, छठवीं शताब्दी में दुनिया के कोने कोने तक यह धर्म पहुंच गया था।

सबसे प्राचीन प्रमाणिक दर्शन में बुद्ध का नाम आता है जो अनीश्वरवादी दर्शन है।

(जब आप बुद्ध पर निबंध लिखते हैं तो इन सभी बातों का ध्यान रखना जरूरी हो जाता है।) छोटे बड़े सभी निबंध यहां पर दिए जा रहे हैं, जिसका उपयोग आप अपने अध्ययन और लेखन में कर सकते हैं।

वैशाख पूर्णिमा के दिन इनका जन्म हुआ है और बुद्ध मार्ग में पूर्णिमा का बहुत महत्व होता है।

बुद्ध स्वयं सत्य की खोज के रास्ते पर चलकर सत्य को प्राप्त कर लिया और जब उन्हें ज्ञान मिला तो उसे पूरी दुनिया के सामने वैसा ही रखा जैसा उन्होंने अनुभव किया।

पूरी दुनिया में सबसे पुरानी मूर्ति और उत्खनन के अभिलेखों से पता चलता है कि एक समय था कि बौद्ध धम्म पूरे भारत में तेजी से फैला हुआ था।

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श्रीलंका, चीन, जापान कंबोडिया और एशिया के अलग-अलग देशों में पांचवी व छठवीं शताब्दी में तीव्र गति से बौद्ध धर्म का प्रभाव पूरी दुनिया में देखने को मिलता है।
भारत में दसवीं शताब्दी से पहले बुद्ध मार्ग की मूर्तियां बनाई जाती रही है। बुद्ध की इन मूर्तियों में उनके ध्यान मुद्रा और उनके अवतारों को भी प्रकट किया गया है। लेकिन इन मूर्तियों की पूजा नहीं होती थी बल्कि इन मूर्तियों को बनाया जाता और रखा जाता था।

गंधार कला शैली और मथुरा कला शैली में बुद्ध की असंख्य मूर्तियां पूरी दुनिया में दिखाई देती है। मथुरा संग्रहालय में आज भी इन मूर्तियों को देख सकते हैं।

बुद्ध ने अपना ज्ञान पाली भाषा, जो उस समय की प्रचलित जनसामान्य की भाषा थी, उसमें दिया था। बुद्ध के धम्म मार्ग से प्रभावित होकर अशोक ने बौद्ध धर्म के प्रचार-प्रसार के लिए महेंद्र और संघमित्रा को श्रीलंका भेजा था।

निष्कर्ष

बुद्ध के ज्ञान मार्ग को स्थापित किया। दुख में पड़े इंसान को अपनी शिक्षा के बल भटके हुए इंसान को नैतिकता और धम्म मार्ग पर स्थापित किया। उन्होंने कहा कि अपना दीपक स्वयं बनो।

किसी की बातों पर इसलिए विश्वास ना कर लो क्योंकि कहने वाला व्यक्ति बहुत बड़ा और आदरणीय है, बल्कि उनकी कही बातों का अपने विवेक की कसौटी परखना चाहिए तब किसी बात पर विश्वास करना चाहिए।

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