Board Exam 2024 पढ़ाई के प्रेशर से बचने के टिप्स, सर्वे के अनुसार बच्चों के मेंटल हेल्थ पर पड़ रहा है पढ़ाई का बोझ

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Last Updated on December 17, 2023 by Abhishek pandey

Board Exam 2024: Tips to avoid the pressure of studying for good mental health : बोर्ड एग्जामिनेशन 2024 में यूपी बोर्ड, CBSE, एमपी, बिहार बोर्ड जैसे तमाम बोर्ड की परीक्षाएं शुरू हो जाएगी। बोर्ड परीक्षा को लेकर बच्चे बहुत तनाव में रहते हैं।

एक सर्वे में बताया गया है कि बच्चों में पढ़ाई के प्रेशर के कारण उनके मेंटल हेल्थ पर भी असर पड़ रहा है। ‌Board Exam 2024 में आप अपने बच्चों को इस पढ़ाई के प्रेशर से बचा सकते हैं। पढ़ाई के प्रेशर से बचने के लिए पढ़ने के तरीके में बदलाव लाना जरूरी है। नई शिक्षा नीति के अंतर्गत परीक्षा और परीक्षा प्रणाली में काफी सुधार किए गए हैं, जिससे की पढ़ाई एक सरल प्रक्रिया बन सके।

मार्क्स नहीं, ज्ञान जरूरी

लेकिन समाज में बोर्ड परीक्षा को लेकर एक अलग तरह की राय बनी हुई है। पेरेंट्स अपने बच्चों से अधिक उम्मीद लगाते हैं कि 100% नंबर आना चाहिए।
अगर थोड़ा भी मार्क्स कम आता है तो बच्चा अपने आप को गलत महसूस करने लगता है‌। ऐसे में कोचिंग और स्कूलों की पढ़ाई व्यवस्था पर सवाल उठता है। ‌ इसके अलावा समाज में अधिक अंक को बड़ा महत्व दिया जाता है। बोर्ड एग्जाम के बाद बच्चे से उम्मीद की जाती है कि वह हर समय पढ़ता नजर आए जबकि पढ़ाई केवल जीवन का एक हिस्सा है। इस आर्टिकल के माध्यम से हम आपको जानकारी देना चाहते हैं कि परीक्षा और पढ़ाई के दबाव में बच्चे और असहज महसूस कर रहे हैं।
बोर्ड परीक्षा का प्रेशर
Board Exam 2024 (बोर्ड परीक्षाएं 2024) शुरू हो चुका है और ऐसे में तमाम बोर्ड के डेट शीट सामने आ चुके हैं। CBSE, CISCE, UP Bihar Jharkhand राज्यों की 10वीं 12वीं की बोर्ड परीक्षा शुरू होने वाली है, ऐसे समय में बच्चों को पढ़ाई का दुगना प्रेशर उनके ऊपर पड़ रहा है। ‌Board Exam 2024 ऐसे में उनके मानसिक स्वास्थ्य पर प्रभाव पढ़ रहा है।

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10% प्रतिशत स्कूली बच्चों में मेंटल हेल्थ की प्रॉब्लम

अभी हाल में एक सर्वे हुआ था। National Sample Poll Organization जिसने बताया कि 10% बच्चे मेंटल हेल्थ की समस्याओं से जूझ रहे हैं। जबकि पूरी दुनिया के आंकड़ों पर नजर डाले तो 18 साल से कम उम्र के करीब 13 प्रतिशत बच्चों की मानसिक स्वास्थ्य सही नहीं है। इस स्थिति को देखते हुए स्कूल, टीचर और पेरेंट्स को मिलकर बच्चों की पढ़ाई व्यवस्था पर ध्यान देने की आवश्यकता है।

पिछले 10 साल से कठिन समय बच्चों के लिए रहा है

अभी हाल में इंडिया टुडे कॉन्क्लेव में बच्चों में बढ़ते डिप्रेशन पर साइकोलॉजिस्ट नूपुर ढींगरा पाइवा और शिक्षक व लेखिका आभा एडम्स ने कहा कि पिछले 10 साल बच्चों के लिए कठिनाई भरा रहा है। उन्होंने बताया कि अगर बच्चे टूटते हैं तो समाज टूटता है। उनका कहना था कि टीनएज डिप्रेशन के कारण पिछले 20 सालों में बच्चों मेंटल हेल्थ पर काफी प्रभाव पड़ा है।

जानिए एक्सपर्ट क्या कहते हैं

  • एक्सपर्ट का कहना है कि सरकार को शिक्षा नीति में ऐसे बदलाव करने चाहिए की पढ़ाई बच्चों के लिए बोझ ना बने। एक्सपर्ट्स का कहना है कि बच्चों को परीक्षा में अधिक अंक लाने के लिए टीचर और पेरेंट्स को प्रेशर नहीं डालना चाहिए। राष्ट्रीय शिक्षा नीति के अंतर्गत कई ऐसे बदलाव किए गए हैं कि शिक्षा एक सुचारू तरीका बन सके जिसमें बच्चे इसे आसानी से पढ़ सके। ज्यादा नंबर लाने की जगह पर नॉलेज पर फोकस किया जा रहा है।
  • इस नीति की सबसे बड़ी बात यह है कि स्कूली शिक्षा के साथ Agriculture Education, Law Education (कानूनी शिक्षा), Medical Education (चिकित्सा शिक्षा) और Technology Education (तकनीकी शिक्षा) जैसे व्यवसायिक शिक्षाओं को इसके दायरे में लाया गया है। कुशलता (skill) बढ़ाने वाली शिक्षा और लाइफ स्किल को इसके साथ जोड़ा गया है।
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मेंटल हेल्थ सुधारने के लिए उठाए जा रहे हैं नए कदम

बच्चा कहीं पढ़ाई (Board Exam 2024) के दबाव में तो नहीं है, यह पता करने के लिए अब स्कूलों में काउंसलिंग भी कराया जा रहा है। बच्चों के मानसिक स्वास्थ्य की जिम्मेदारी स्कूल और टीचर्स दोनों की है इसके साथ ही पेरेंट्स की भी जिम्मेदारी होती है। स्कूल और घर में पढ़ाई का ऐसा माहौल बनाना चाहिए जिससे बच्चों को पढ़ाई का प्रेशर ना महसूस हो। अच्छे और खुशी वातावरण में पढ़ाई करने से बच्चे बहुत अच्छी तरीके से सीखते हैं।

पढ़ाई के प्रेशर से बचने के टिप्स

स्टूडेंट को बताने जा रहे हैं की पढ़ाई के प्रेशर से कैसे बचें इसके लिए यहां पर कुछ टिप्स दिए जा रहे हैं जो आपके लिए बहुत उपयोगी है।

  • पढ़ाई के साथ-साथ खेलकूद और अच्छा खाना खाना भी जरूरी है इसलिए पढ़ाई पर फोकस करें लेकिन खेलने टहलने समय भी निर्धारित कर ले।
  • पढ़ाई के बोझ को कम करने के लिए सिलेबस को अच्छी तरीके से समझ ले और मार्किंग स्कीम को टीचर की सहायता से समझिए।
  • प्वाइंट्स बनकर किसी टापिक को याद करना आसान होता है।
  • पढ़ाई आप नॉलेज और स्किल डेवलप करने के लिए कर रहे हैं मार्क्स के चक्कर में ना पड़े। जब आप अच्छे से परीक्षा के अकॉर्डिंग पढ़ेंगे तो आपके नंबर भी अच्छे आएंगे। अच्छे नंबर आने की चिंता ना करें बल्कि पढ़ाई पर फोकस करें।
  • पाठ पुस्तक और अपने नोट से पढ़े इससे बार-बार पढ़ने पर आपको याद होता है।
  • पढ़ने का टाइम टेबल बनाने से फायदा यह होता है कि हर विषय को आप अच्छे तरीके से पढ़ पाते हैं। इसके साथ ही आप अपने हेल्थ पर भी ध्यान दे पाते हैं।
  • जो टॉपिक कठिन है उसको टीचर की सहायता से समझने की कोशिश करें।
  • पढ़ने के कुछ समय बाद ब्रेक जरूर ले इससे मन तरोताजा हो जाता है।
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Conclusion

New Education Policy में पढ़ाई को लेकर कई तरह के बदलाव किए गए हैं ताकि पढ़ाई को बच्चे बोझ ना समझें।‌ पढ़ाई को रोचक और एक्टिविटी के आधार पर बताकर बच्चों को पढ़ाया जा रहा है। ताकि बच्चे अपने स्किल और नॉलेज को बढ़ा सके। इस आर्टिकल में हमने आपको बताया कि बच्चों का मेंटल हेल्थ बिगड़ रहा है। इसके लिए एक सर्वे का उदाहरण भी दिया, भारत के 10% स्कूली बच्चे मन से बीमार है। एक्सपर्ट की राय भी बताई गई कि किस तरीके से हम बच्चे को हेल्दी एजुकेशन देकर उन्हें परीक्षा के प्रति तनाव मुक्त बना सकते हैं।

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