टेट उतीर्ण और भर्ती प्रक्रिया में शामिल बेरोजगारों की सरकार अवेहलना कर रही

 खबरें आ रही हैं कि अगले सत्र में शिक्षा मित्रों की नियुक्‍ति होगी लेकिन ये तो पैराटीचर तो पहले से ही नियक्‍त हैं वो भी इण्‍टर पास  और सरकार इन्‍हें बीएड करा कर स्‍थाई नियुक्‍ति देगी। इधर आरटीई काबिल टीचर की बात करता है। तो हमारा संविधान सबकों एक समान  नजरिये से देखता है कि योग्‍यता के अनुसार नौकरी दी जाए। लेकिन  बीएड टेट उतीर्ण और भर्ती प्रक्रिया में शामिल बेरोजगारों की सरकार अवेहलना कर रही है। ६ लाख बीएड धारक और ३ लाख टीईटी पास  और लाखों लोग टीचर बनने के लिए बीएड करने की तैयारी अभी से कर रहे हैं इन्‍होंने वर्तमान सरकार को वोट दिया कि जल्‍द टीचर की भर्ती लोकतांत्रिक ढंग से शुरू होगी लेकिन वर्तमान सरकार चुनाव से पहले की परिस्‍थ्‍ितियों को भूल गया है। अब केवल एक ही दिशा में शिक्षा मित्रों की बात कर रहा है। इधर कंपटीशन से बीएड करने वाले और टीईटी मेरिट में से नियुक्‍ति का बात न करके इनको केवल टरकाया जा रहा है। संवैधानिक तरीके से हो रही भर्ती की प्रक्रिया को बदलने में ज्‍यादा रूचि दिखा रही है। बेरोजगारी भत्‍ते में भी सरकार का फैसला बिल्‍कुल अजीब है कैसे बेरोजगारी भत्‍ता के लिए सरकार बेरोजगारो से काम लेगी तो यह बेरोजगारी भत्‍ता कहां होगी ये तो रोजगार देना हुआ तो 
सरकार पहले ये तय करती की नहीं हम बेरोजगारी भत्‍ता नहीं इन बेरोजगारों को काम देंगे काम से जीने का सम्‍मान देंगे। लेकिन सरकार केवल  अपने वोट बैंक के बारे में ही सोचती है। चुनाव से पहले केवल बेरोजगारी भत्‍ते का लाली पाप दिखाया और जमीनी तौर पर उसे लागू करने पर उस पर कई नियन लगा दिये। बहरहाल
एक तरह से सरकार खुद मानने लगी हर बेरोजगारों को उनकीयोग्‍यता के अनुसार रोजगार दिलाना सरकार का दयित्‍व है। लेकिन मजेदारी बात है कि बीते कई महीने से टीईटी मेरटि से चयन मामले में सरकार काई पहल नहीं कर रही है जोकि आरटीई एक्‍ट के तहत योग्‍य टीचर बनने की योग्‍यता रखते
हैं लेकिन सरकार एक तरफ ट्रेनिंग देकार टीचर बनाने के लिएसाल भर इंतजार कर सकती है। लेकिन जिन टीईटी बेरोजगारो के वोट के बल पर सत्‍ता हासिल की उन्‍हें ही धोखे में रखा जा रहा है। केवल बदले की राजनीति का यह ज्‍वलंत उदाहारण  है
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