School tips for annual function
मैंने कई अमेरिकन शिक्षा संबंधित लेखो में पढा़ है कि वहां के स्कूलों में नेचुरल और प्रोफेशनल स्किल अकैडमी पढ़ाई के दौरान सिखाए जाते हैं।
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School tips for annual function:
जैसे, थिएटर-ड्रामा की जो बारीकियां हैं, वह बच्चे किसी एक प्रेजेंटेशन को तैयार करने से पहले होने वाले रिहल्सल व प्रैक्टिस में सालभर स्कूल सत्र ड्रामा क्लासेस के जरिए सीखते रहते हैं और फिर एनुअल फंक्शन में बिल्कुल प्रोफेशनल तरीके से प्रस्तुत करते हैं, इस प्रेजेंटेशन के पीछे उनकी वास्तविक मेहनत होती है, जैसे डायलॉग डिलीवरी के साथ अभिनय। कोई भी आवाज़ रिकॉर्डिंग नहीं होती, केवल ध्वनि-संगीत के अलावा। School tips for annual function
अमेरिका से तुलना इसलिए जरूरी दृष्टांत (उदाहरण) मैंने दिया क्योंकि ज्यादातर ‘भारतीय अंग्रेजी माध्यम स्कूल’ अंग्रेजी नकल यूरोप और अमेरिकन कॉन्टिनेंट से करते है। बहरहाल यहां एक बात स्पष्ट कर दी की अमेरिकन और योरोप कंट्री में अधिकतर अंग्रेजी भाषा मदरटंग तौर पर बोली जाती है इसलिए वहां पर यह ठीक है।
फिर एक बार मैं स्पष्ट कर दूं कि ‘नयी शिक्षा नीति -2019’ पर इसी बात का ध्यान रखा गया है कि मातृभाषा में पढ़ाई भी जरूरी है।
लेकिन अब बदलाव शुरू होने वाला है।
मेरा मानना यह कि यूनानी ड्रामा और भारतीय नाट्यकला अपने आप में बहुत उत्कृष्ठ है। यहां आंगिक-वाचिक आदि टेक्निक को अपनाया जाता है।
एक बात और कि अमेरिकन स्कूलों में बच्चों के कार्यक्रम की भव्यता नहीं बल्कि उसे सीखने के एवज में समझा जाता है ताकि भविष्य में इन योग्यताओं को वह हासिल करके अपने क्षेत्र विषय में दक्षता को प्राप्त कर एक सफल कलाकार या वैज्ञानिक बने।
यहां एक बात और अमेरिका की शिक्षण-पद्धति, वहां पर हर बच्चे को कला, ड्रामा, गीत-संगीत आदि की कक्षाओं में प्रतिभाग कराया जाता है। चाहे वह आर्टिस्ट बने या न बने। लेकिन इन सब स्किल का प्रयोग वह (बच्चा) एक सफल प्रोफेशनल की तरह आने वाले भविष्य में कर सके। चाहे वह डॉक्टर बने, चाहे वह मैनेजर, सैनिक या किसान बने। उसका उपयोग अपनी भावी जिंदगी को बेहतर बनाने के लिए कर सकता है।इसीलिए हर बच्चे के लिए ड्रामा, संगीत, नृत्य, गायन, वादन, चित्रकला इत्यादि स्कूली स्तर पर बहुत जरूरी है।
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अभिषेक कांत पांडेय