Perfect Teacher kaise bane| अपडेट Tips
टीचर कैसे बनें tips । परफेक्ट टीचर कैसे बने? टीचर खुद को अपडेट कैसे करे। अच्छा टीचर कैसे बने। अच्छा अध्यापक कैसे बने टीचर का आचरण कैसा हो। सीखने की प्रवृत्ति टीचर में होनी चाहिए। शिक्षक की सोच शिक्षक का आध्यात्मिक सोच। इन सभी के उत्तर इस लेख/निबंध से जानें।
टीचर कैसे बनें। परफेक्ट टीचर कैसे बने? आज के समय में एजुकेशन मतलब नौकरी पाना है। नई एजुकेशन पॉलिसी 2020 में छात्रों में नैतिक विकास और चरित्र के निर्माण पर ध्यान दिया है। इस लेख के माध्यम से मैं आपको बताऊंगा कि शिक्षा एक बदलाव है और शिक्षक उस बदलाव को करने वाला होता है। शिक्षक गुरु, टीचर, मेंटर कुछ भी कहे लेकिन वर्तमान शिक्षा प्रणाली में इनका महत्व है, समाज के निर्माण में इनकी भागीदारी प्रत्यक्ष रूप से है। नई शिक्षा नीति 2020 में व्यवसाय कौशलता के साथ बच्चों के चरित्र निर्माण और नैतिक मूल्य पर ध्यान केंद्रित किया गया है ताकि शिक्षा का ढांचा ऐसा हो कि आदर्शवाद और नैतिक मूल्यों वाले समाज का निर्माण हो सके इसलिए को पूरा पढ़ें और एक शिक्षक का समाज और देश के प्रति कर्तव्य के बारे में बताया गया है। यह लेख आपको निबंध लिखने में भी सहायता करता है। टीचर कैसे बनें। परफेक्ट टीचर कैसे बने?
मानसिक विकास के साथ चरित्र निर्माण आवश्यक मोरल वैल्यू
moral value education: शिक्षा की व्यापक परिभाषा है लेकिन सभी परिभाषा का सार यही है कि अधिगमकर्ता (Learner) के व्यवहार में परिवर्तन लाना है, जो मानवता, सामाजिकता और नैतिकता के साथ व्यवसायिक कुशलता युक्त होना चाहिए। एक अच्छा टीचर एक अच्छा स्टूडेंट होता है। Character building with mental development Essential Moral Values.
A teacher / teacher / teacher should keep these facts in mind in his personality-
परफेक्ट टीचर कैसे बने, शिक्षक में सीखने की प्रवृत्ति
इस संसार का दार्शनिक चिंतन यही है कि जो गति करता है, वही जीवित है। सीखने और सिखाने की प्रक्रिया में स्वयं सीखते रहने की प्रवृत्ति एक शिक्षक के व्यक्तित्व (Teacher’s personality) में होना चाहिए। सीखने की क्रिया औपचारिक और अनौपचारिक (formal and informal) होना चाहिए। औपचारिक शिक्षा के अंतर्गत शिक्षक की कार्यकुशलता हेतु प्रारूपित (Design) किए गए पाठ्यक्रम और कुशलता को सीखना होता है। टीचर कैसे बने उसका जवाब इन पंक्तियों में है जब अनौपचारिक शिक्षा के अंतर्गत व समाज में और अलग-अलग तरह के अपने विषयों के साहित्य से भी हर समय सीखता है अर्थात स्वयं को अद्यतन (Update) करता है।
यदि शिक्षक विभिन्न स्रोतों से अपने ज्ञान को अद्यतन (Update) करता जाता है तो वह अपने छात्रों के लिए सबसे अच्छा गुरु है, यानी मेंटर है।
इसलिए शिक्षक को अपने व्यक्तित्व में यह बदलाव अवश्य लाना चाहिए सीखने की प्रवृत्ति उसके स्वयं के व्यक्तित्व में परिवर्तन लाता और विषय की पकड़ के साथ वह छात्रों को ज्यादा से ज्यादा लाभान्वित कर सकता है।
गुरु (टीचर) छात्रों (Students)का रोल मॉडल बने
शिक्षक छात्र के सबसे करीब होता है। शिक्षक और छात्र का रिश्ता सबसे दिव्य रिश्ता होता है। शिक्षक छात्र को ज्ञान देने के साथ ही उसमें नैतिक मूल्य और चरित्र का निर्माण करता है। नैतिक मूल्य और चरित्र (Moral values and character) के इस निर्माण प्रक्रिया में सबसे प्रथम उदाहरण स्वयं शिक्षक छात्र के सामने होता है। इसलिए शिक्षक को अपने नैतिक मूल्य और चरित्र (Moral values and character) के निर्माण में सदा सजग रहना चाहिए। इस कसौटी में जो शिक्षक खरा उतरता है छात्र उन शिक्षकों की बात ध्यान से सुनते हैं और उन्हें इसलिए अपनाते हैं क्योंकि उनके शिक्षक ने व्यावहारिक रूप में नैतिक मूल्यों को अपनाया है। (Practically ethical values have been adopted.) New education policy 2020
गुरु शिष्य को स्नेह प्रदान करता है तो शिष्य गुरु का आदर करते हैं और उनके राह पर चलकर इस समाज को अपनी कुशलता और ज्ञान प्रदान करते हैं। इसीलिए गुरु एवं शिष्य का रिश्ता दुनिया के अन्य रिश्तो से अलग एवं महत्वपूर्ण है क्योंकि गुरु ही शिष्य का भविष्य निर्माता होता है। किसी देश का भविष्य उस देश के गुरुओं के हाथ में होता है। जहां गुरुओं का अपमान होता है, वह कभी भी प्रगति के पथ पर आगे नहीं बढ़ सकता है।
तकनीकी ज्ञान की सूचना के साथ चरित्र निर्माण (Character building with information on technical knowledge)
वर्तमान युग कल पुर्जों का युग है। मशीनी युग में इंसान की मानवता स्वार्थ में परिवर्तित हो गई है। इसलिए इस युग में शिक्षकों की भूमिका बढ़ जाती है। राष्ट्र और विश्व निर्माण में अपनी अहम भूमिका गुरु ही निभाता है। छात्र रूपी कच्चे मिट्टी को पक्के घड़े रूपी उपयोगी व्यक्तित्व में बदल देता है। इसलिए शिक्षक को सर्वप्रथम अपने सामाजिक और नैतिक उत्तरदायित्व को समझना होगा।
इस तकनीकी ज्ञान के साथ उनमें मानवता और चरित्र निर्माण के दिव्य प्रकाश को संचारित करना है। एक शिक्षक होने के नाते तकनीकी ज्ञान के साथ बालक के चरित्र निर्माण एवं बुद्धि कौशल निर्माण की ओर भी अग्रसारित करना है। यह एक शिक्षक के रूप में सबसे बड़ी चुनौती है और इस चुनौती को स्वीकार करने के लिए अथक परिश्रम एवं लग्नशीलता का भाव स्वयं में शिक्षक को लाना होगा। इसलिए एक शिक्षक होने के नाते इन तथ्यों का अवश्य ध्यान रखूंगा और स्वयं में हर समय परिमार्जित करता रहूंगा।
शिक्षक में आत्मविश्लेषण और आत्ममंथन की प्रवृत्ति
अतः आत्मचिंतन एवं मन विश्लेषण की यह प्रक्रिया किसी शिक्षक में कम नहीं होनी चाहिए अतः विभिन्न विचारों एवं अन्य लोगों के मतों का सम्मान करते हुए शिक्षक होने के नाते आत्ममंथन करता रहूंगा। आत्ममंथन से अमृत रूपी ज्ञान की प्राप्ति करके मैं इस ज्ञान को छात्रों तक पहुंचाता रहूंगा।
टीचर किताबी ज्ञान को व्यवहारिक बनाता
जो बातें किताबों में लिखी हैं, उनका अक्षरस पालन समाज में हो सकता है। बशर्तें हम अपने स्कूलों में इन बातों का व्यावहारिक रूप से स्वयं अपनाएं। शिक्षा रूपी स्कूल के मंदिर से निकलने वाला छात्र जब समाज में प्रस्तुत होगा तो अपने ज्ञान और चरित्र के माध्यम से समाज के अनेक व्यक्तित्व को बदलेगा और जिस व्यवसाय में वह बालक होगा उस व्यवसाय की नैतिकता और उसकी उत्कृष्टता को बदल देगा। जिससे दुनिया के गरीब और असहाय लोगों को भी फायदा होगा यानी हमें पवित्र अर्थव्यवस्था की ओर बढ़ना होगा, पवित्र सामाजिकता की ओर बढ़ना होगा, पवित्र नैतिकता की ओर बढ़ना होगा और वह एक शिक्षक अपने छात्रों के माध्यम से इस सपने को अपने सम्यक दृष्टि से प्राप्त कर सकता है। एक अच्छा शिक्षक जिनमें निम्नलिखित यह गुण हैं, एक अच्छा चरित्रवाला व्यक्ति और देश समाज के प्रति दायित्व के लिए तत्पर रहने वाले व्यक्तित्व और व्यवसायिक दक्षता से कुशल शिक्षक छात्र के रूप में अपना प्रतिरूप (copy) रचता है।
यह सोच एक शिक्षक होने के नाते मेरे अंदर भी है और मुझे पूर्ण विश्वास है कि हमारा समाज भी परिवर्तित हो सकता है। महात्माओं की इस पुण्य भारत भूमि में फिर से चारों तरफ खुशहाली आएगी। महापुरुषों का सपना साकार होगा। इस धरती में ना कोई हिंसा, न कोई चिंता, न कोई गरीबी, ना कोई अत्याचार होगा। तभी सच्ची शिक्षा होगी यानी शिक्षा का मतलब एक सकारात्मक विश्व की कल्पना।
आइए मिलकर अपने सोच को नया आयाम दें, एक शिक्षक होने के साथ सदैव उन दिव्य शक्तियों और प्राकृतिक शक्तियों का मैं अनुभव करता हूं जो मुझे एक शिक्षक होने के नाते छात्रों के प्रति अपने कर्तव्य और उत्तरदायित्व से विमुख नहीं करता है।
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लेखक
अभिषेक कांत पांडेय
शिक्षा से जुड़े हुए हैं। पत्र-पत्रिकाओं में शैक्षिक व सामाजिक लेख प्रकाशित होते रहते हैं।
शैक्षिक योग्यता पत्रकारिता में परास्नातक, हिंदी में परास्नातक, शिक्षा में स्नातक (BEd)
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