दिल्ली में हुई घटना के बाद हम आने वाले साल की शुभकामना कैसे दे सकते है देश की बेटी हैवानियात की शिकार हुई और हम आज़ादी के इतने सालो के बाद भी स्त्री की इज़त नहीं करना सीखे ये हमारी हार है की हम देश में ऐसे लोगो चुनते है जो हमारी रक्षा नहीं कर सकते है केवल बयानबाज़ी करते है इस साल की ये घटना इंसानियत के मुह पर तमाचा है। कब हम जागेंगे ……….