मन का अंकुर
मन का अंकुर फूट जाने तकमई प्रतीक्षारत हूँअपने अस्तित्व के प्रतिध्यैय है मुझे मिटटी के व्यवहार से,जल के शिष्टाचार सेअंकुरित होने तकअपने अस्तीत्व के प्रतिमझे सावधान रहना हैआंकना है मुझेमिटटी में जल की संतुलित नमी कोasntulit होने परमै सड़ सकता हूँपुराने विचारो के दीमक मै कहीं मैं दब न जाऊंनवीनता अवशोषण मैअंकुरित होने से पहलेसत्य …