Ambedkar jayanti speech 2023: 14 अप्रैल का दिन बहुत खास होता है। इस दिन महान व्यक्ति का जन्म हुआ जिनका नाम डॉ० भीमराव अंबेडकर है। बाबा भीमराव अंबेडकर की जयंती के अवसर पर आज हम महत्वपूर्ण जानकारी दे रहे हैं, इसके साथ ही Ambedkar jayanti speech 2023 प्रस्तुत कर रहे हैं, जिसे आप अंबेडकर जयंती के अवसर पर अपने स्कूल, कॉलेज, संस्थान में बोल (भाषण) कर सकते हैं।
डॉक्टर भीमराव अंबेडकर महान शख्सियत थे, वे जाति-पाति के बंधन के कारण पढ़ाई-लिखाई से वंचित होने की स्थिति में भी हार नहीं मानी, और पढ़-लिखकर महान व्यक्तित्व बनकर दिखाया।
स्वतंत्र भारत के पहले कानून मंत्री भी बने। इसके साथ ही संविधान लेखन का श्रेय भी उनको दिया जाता है। अनुसूचित जाति, जनजाति और पिछड़े लोगों की आवाज बनकर उन्होंने उन सभी वंचितों को अधिकार दिलाया, जो हजारों साल के इतिहास में सामाजिक राजनीतिक और आर्थिक रूप से उन्हें पीछे रखा गया था।
14 अप्रैल को भारत के संविधान निर्माता डा० भीमराव अंबेडकर जी का जन्म दिवस है। महान समाज सुधारक डॉक्टर भीमराव अंबेडकर संविधान निर्माता, कानून विशेषज्ञ, लेखक, शिक्षा विद्वान और युग प्रवर्तक थे।
अंबेडकर जयंती पर भाषण Latest
doctor bheemrav Ambedkar jayanti latest update 2023 speech in Hindi
आदरणीय प्रधानाचार्य महोदय, आदरणीय गुरुजन साथी छात्र!
आज का दिन बहुत महत्वपूर्ण है। आज ही के दिन बाबा साहब अंबेडकर का जन्म हुआ था। 14 अप्रैल का यह महान दिन डॉ० भीमराव अंबेडकर की जयंती के रूप में हर्षोल्लास के साथ मनाया जाता है।
हम भारतीयों के लिए यह दिन बहुत ही खास है। बाबा भीमराव अंबेडकर संविधान निर्माता थे।
वे जानते थे कि दबे कुचले और दलितों के लिए उनके उत्थान का कार्य करना बहुत आवश्यक है। अपने समाज के अधिकार विहीन वर्ग के लिए उन्होंने संघर्ष किया। जाति छुआछूत की प्रथा को दूर करने के लिए उनका संघर्ष समाज के लिए एक बहुत बड़ी उपलब्धि है। दलित समाज में चेतना भरने और उनके अधिकारों के लिए उन्हें जागरूक करने का श्रेय डॉक्टर भीमराव अंबेडकर को जाता है।
डॉक्टर भीमराव अंबेडकर (Ambedkar jayanti speech) एक राजनीतिज्ञ, कानून विद्वान, मानव विज्ञानिक, शिक्षक, अर्थशास्त्री थे। डॉ भीमराव अंबेडकर के कार्य और उनकी उपलब्धियां हमारे लिए प्रेरणा का स्रोत है। इसलिए पूरे भारतवासी उनका जन्म दिवस धूमधाम से और हर्ष उल्लास के साथ 14 अप्रैल को मनाते हैं।
संविधान निर्माता भीमराव अंबेडकर जयंती पर भाषण
Long song and short speech on Ambedkar jayanti in Hindi
माननीय प्रधानाचार्य महोदय, प्रबंधक समिति के अध्यक्ष और शिक्षक एवं प्रिय विद्यार्थियों,
आज भाषण समारोह में मैं आप सभी लोगों का हार्दिक अभिनंदन करता हूं। आज मुझे यह पावन अवसर मिला है कि आपके सामने भाषण के माध्यम से डॉ० भीमराव अंबेडकर की जयंती के उपलक्ष्य में कुछ बातें आपसे कहूंगा।
संविधान निर्माता विद्वान डॉ० भीमराव अंबेडकर की जयंती की पूर्व संध्या पर हम सभी यहां पर इकट्ठा हुए हैं मुझे बड़ी प्रसन्नता हो रही है, ऐसे महान शख्सियत के बारे में आपसे बातचीत करने का अवसर मुझे प्राप्त हो रहा है।
14 अप्रैल 1891 को अंबेडकर जी का जन्म हुआ था। उनका पूरा नाम भीमराव रामजी अम्बेडकर था। उनके पिताजी रामजी मलोजी सकपाल और माता जी का नाम रमाबाई था। एक साधारण से परिवार में उनका जन्म हुआ था। लोग उन्हें प्यार से बाबा साहब नाम से पुकारते थे।
जब उनकी उम्र 5 साल की थी, उनकी माता का देहांत हो गया था। अपनी पढ़ाई लिखाई पूरी करने के लिए वे मुंबई चले गए। मुंबई में ही उन्होंने बैचलर आफ आर्ट्स यानी b.a. की पढ़ाई पूरी की।
मास्टर की डिग्री के लिए अमेरिका पढ़ने चले गए। वहां पर प्रतिष्ठित कोलंबिया विश्वविद्यालय में प्रवेश लिया और इंग्लैंड से अपनी मास्टर डिग्री और पीएचडी की डिग्री हासिल की इस तरह से पढ़- लिखकर वे 1923 में भारत लौटे।
साधारण परिवार का बालक विदेश में पढ़कर ऊंची शिक्षा हासिल की। यह एक बहुत बड़ी उपलब्धि थी।
मुंबई के उच्च न्यायालय से उन्होंने अपने व्यावसायिक जीवन की शुरुआत एक वकील के रूप में की। इसके साथ उन्होंने अपने समुदाय को शिक्षा के महत्व के बारे में बताया। दलितों, पिछड़ों, वंचितों के अधिकार के लिए उन्होंने अपना सारा जीवन समर्पित कर दिया।
शिक्षा के महत्व को भली-भांति तरीके से जानते थे, इसलिए शिक्षा के महत्व को बताते थे और सभी को पढ़ने के लिए प्रेरित करते थे।
जाति-पाती और छुआछूत के कारण लोगों में हीनता की भावना आ गई थी, इसे दूर करने के लिए उन्होंने ‘जाति के विनाश’ नाम से पुस्तक लिखी। समाज को जागरूक करने के लिए उन्होंने कई पुस्तकें लिखी और ढेरों लेख लिखें।
उन्होंने लिंग, जाति, वर्ग आदि के भेदभाव के आधार पर चली आ रही व्यवस्था के खिलाफ वैचारिक आंदोलन शुरू किया। सामाजिक सरोकार से जुड़ गए और उन्होंने अंधविश्वास के खिलाफ भी बड़ा आंदोलन किया। उनका आंदोलन समाज के दलितों, पिछड़ों, वंचितों के लिए उन्हें सम्मान और अधिकार दिलाने वाला था। उनकी सामाजिक सक्रियता को देखकर लोग प्यार से उन्हें ‘बाबासाहेब’ के नाम से पुकारते थे।
बाबा भीमराव अंबेडकर ने संविधान निर्माण में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई इसलिए उन्हें संविधान का रचयिता भी कहा जाता है। उस समय समाज के कमजोर वर्ग और उनकी जीवन शैली को सुधारना एक बहुत बड़ी चुनौती थी क्योंकि सामाजिक ताने-बाने में हजारों साल से वंचित और पिछड़ों दलितों के लिए कोई उत्थान कार्य नहीं किया गया। जिससे वे पिछड़ते चले गए, उन्हें उनके अधिकार को दिलाने का श्रेय भीमराव अंबेडकर जी को जाता है। उन्होंने संविधान में आरक्षण प्रणाली की व्यवस्था की। जिससे दलितों पिछड़ों और वंचितों को आरक्षण के जरिए उन्हें उनका अधिकार प्राप्त हो सके ताकि समाज की मुख्यधारा का हिस्सा बन सके।
डॉक्टर भीमराव अंबेडकर के सामाजिक कार्य कमजोर वर्ग के उत्थान के लिए था। उनका सपना समाज में जाति प्रथा समाप्त हो जाए और हर मनुष्य एक दूसरे को मनुष्यता की दृष्टि से देखें इसलिए उन्होंने छुआछूत और अंधविश्वास का घोर विरोध किया।
देश-विदेश में हर्षोल्लास से मनाया जाता है bheemrav Ambedkar jayanti
इसलिए 14 अप्रैल को अंबेडकर जयंती धूमधाम से देश में ही नहीं, विश्व के हर कोने में मनाया जाता है। इस दिन सार्वजनिक अवकाश होता है और बाबा भीमराव अंबेडकर के जीवन और उनके सामाजिक कार्यों से प्रेरणा लेते हैं और एक ऐसे समाज के निर्माण में स्वयं को भी भागीदार बनाने के लिए प्रेरित होते हैं, जिसमें किसी भी तरह का वर्ग, भेद, लिंग-भेद जाति भेद न हो। आइए हम सभी लोग मिलकर बाबा भीमराव साहब अंबेडकर के इस सपने को साकार करें।
भारत के वीर सपूत भीमराव अंबेडकर की जय हो! आइए हम सब एक होकर भारत देश की तरक्की में प्रतिभाग करें और इस भारत देश को बुलंदी की ऊंचाइयों तक ले जाए। धन्यवाद!
conclusion
Dr. bheemrav Ambedkar की जयंती के अवसर पर जहां पर भाषण Hindi speech on doctor bheemrav Ambedkar jayanti दिया गया है जो आपके लिए बहुत उपयोगी है। नई-नई उपयोगी जानकारी के लिए हम से जुड़े रहे, शेयर करें, धन्यवाद!
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डॉक्टर भीमराव अंबेडकर के पास कुल 32 डिग्रियां थीं। 9 भाषाओं के जानकार थे। उन्होंने लंदन स्कूल ऑफ़ इकोनॉमिक्स की 8 साल की पढ़ाई केवलमें 2 साल 3 महीने पुरी की। भारत रत्न Dr Bhimrao Ambedkar कुशाग्र बुद्धि के मेधावी छात्र थे।
14 अप्रैल को भारत रत्न डॉक्टर भीमराव अंबेडकर का जन्म दिवस पूरे विश्व में धूमधाम से मनाया जाता है। गरीबों, दलितों, वंचितों, पिछड़ो के समानता के अधिकार के लिए आवाज उठाई। वंचित और दलितों के लिए इन्होंने समानता दिलाने के लिए संविधान में विशेष आरक्षण का प्रावधान कराया। संविधान निर्माता और स्कॉलर अंबेडकर जी का नाम पूरी दुनिया में सम्मान के साथ लिया जाता है।