UGC का बड़ा बदलाव, इंजीनियरिंग की पढ़ाई अब रीजनल लैंग्वेज भी होगी

नई शिक्षा नीति 2020 (New Education Policy 2020) धीरे-धीरे लागू किया जा रहा है। UGC ने क्षेत्रीय भाषाओं में (Regional Languages) में हायर एजुकेशन जैसे इंजीनियरिंग की पढ़ाई के लिए खाका तैयार कर लिया है। हित में आमूलचूल परिवर्तन करते हुए अखिल भारतीय तकनीकी शिक्षा परिषद (AICTE) संस्थान ने भारतीय भाषाओं (UGC plans Regional Languages) में इंजीनियरिंग सिलेबस को भारतीय भाषाओं में पढ़ाने का प्लान भेजा जा चुका है। इस पेशकश के बाद विश्वविद्यालय अनुदान आयोग (UGC) ने क्षेत्रीय भाषाओं में ग्रेजुएट (UG) और पोस्ट ग्रेजुएट (PG) पाठ्यक्रम शुरू करने की योजना बनाई है। इस कदम से अब साफ हो गया है कि केंद्रीय और राज्य विश्वविद्यालयों के कुलपति भारतीय भाषाओं के प्रोफेशनल और STEM को साथ में लेकर हायर एजुकेशन के पूर्णकालिक पाठ्यक्रम रीजनल लैंग्वेज में पढ़ाए जाने के लिए कदम उठाना शुरू कर दिया जाएगा।

UGC Regional Languages: पढ़ाई का माध्यम अंग्रेजी और हिंदी

आपको बता दें कि आईआईटी की पढ़ाई अंग्रेजी माध्यम में होती है लेकिन मातृभाषा में या रीजनल लैंग्वेज में अध्ययन सामग्री न होने के कारण इसमें पढ़ाई करना चुनौतीपूर्ण होता है। लेकिन दिल्ली विश्वविद्यालय की कुलपति योगेश सिंह बताते हैं कि इस योजना का लाभ सभी छात्रों को पहुंचे इसलिए उन्होंने कहा कि निर्देश का माध्यम अंग्रेजी और हिंदी होगा।हां तो बता दी कि रीजनल लैंग्वेज में पढ़ाई से छात्र सहस तरीके से तकनीक और जान पड़ा सिंह करते हैं लेकिन सबसे बड़ी चुनौती है कि रीजनल लैंग्वेज में क्वालिटी वाली किताबें नहीं है जिस कारण से इसका ग्लोबल फायदा छात्रों को नहीं मिल पाता है।

See also  Netaji ka chashma MCQ CLASS 10 CBSE 2023

reasonal language में पढ़ाई आसान

अक्सर कहा जाता है कि रीजनल लैंग्वेज में पढ़ाई करने वाले छात्र और मेडिकल में अव्वल नहीं होते है। लेकिन ऐसा नहीं है, जम्मू केंद्रीय विश्वविद्यालय के शैक्षिक अध्ययन विभाग के प्रमुख जेएन बलिया बताते हैं कि छात्रों को अपने संबंधित क्षेत्रों में वर्ल्ड लेवल पर कंपटीशन करने में कोई प्रॉब्लम नहीं होती है। जब से छात्रों को क्षेत्रीय भाषाओं में पढ़ाया जाता है तो इनके विचारों में स्पष्टता होती है।

डिजिटल लर्निंग छात्रों के लिए फायदेमंद

आपको बता दें कि न्यू एजुकेशन पॉलिसी 2020 के क्षेत्रीय भाषा के माध्यम से अध्ययन करने का नियम बना हुआ है। क्षेत्रीय भाषा (हिंदी, तमिल, बेंगाली..) के माध्यम से पढ़ाई करने पर छात्रों के बीच समानता आती हैं, बहुभाषावाद को भी बढ़ावा मिलता है। लर्निंग के माध्यम से अल्पसंख्यक हाशिए के समुदायों को उनकी भाषा को बढ़ाने में मदद मिलती है।आपको बता दें कि डिजिटल लर्निंग के द्वारा के दूरदराज इलाकों में भी स्थानीय भाषा में पढ़ाई होना आसान हो जाएगा।

क्षेत्रीयभाषा में एजुकेशन देने के लिए यूजीसी की योजना
हायर एजुकेशन के लिए ड्रॉपआउट की समस्या सबसे ज्यादा है। उसका कारण है कि रीजनल लैंग्वेज में पढ़ाई नहीं होती है। इस समस्या से बचने के लिए तकनीकी विषयों के कंटेंट को भारतीय भाषाओं में डेवलप करना जरूरी है। हमारे देश में 22 अनुसूचित भाषाएं और 760 बाहरी भाषाएं हैं लिस्ट आफ रीजनल भाषा में पढ़ाने की योजना खासतौर पर बहुत ही सावधानी पूर्वक बनाना चाहिए। पूरी दुनिया में अंग्रेजी भाषा का महत्व भी है और क्षेत्रीय भाषा का भी हमारे महत्त्व है ऐसे में छात्रों को विश्व स्तर पर प्रतिस्पर्धा करने लायक बनाने के लिए रीजनल लैंग्वेज एजुकेशन को सावधानी तरीके से लागू करने की कवायद होनी चाहिए।

See also  Multiple choice question answer New pattern Surdas lessons बहुविकल्पी प्रश्न सूरदास Hindi class 10

Related post

Leave a Comment

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Scroll to Top