प्याज कहे एक कहानी
जहां प्याज लोगों को रूला रहा है। वहीं प्याज के बढ़ते दाम से व्यापारी लाखों कमा रहे हैं। गरमियों में नासिक की प्याज की औकात थोक में 8 से 10 रूपये थी। मुनाफाखोरी और गैर तरीके से थोक व्यापरियों ने जमकर प्याज का स्टोर शुरू किया। इधर प्याज की कम पैदावार के साथ आयात और निर्यात की सही नीति न होने के कारण घरेलू प्याज की कीमत बढ़ना शुरू हो गया। ऐसे में व्यापारियों को जबरजस्त मुनाफा हो रहा है। जहां किसान अपनी पैदावार को पहले ही कम दामों में प्याज बेच चुके हैं ऐसे मे सारा फायदा सीधे—सीधे बड़े व्यापरियों को हो रहा है। इसी बहाने सियासत गर्म हो रहा है, प्याज कभी बीजेपी सरकार की सत्ता पल्ट दी थी आज बिल्कुल उसी तरह हाल है कांग्रेस की सरकार है और प्याज दिल्ली में 80 रूपये किलों बिक रहा है। ऐसे में प्याज में राजनीति गरम हो रही है भले आम भारतियों के थाली में प्याज गायब है। वहीं पांच रूपये में भरपेट भोजन कराने वाले नेता कुछ बोल नहीं रहे हैं।
आज तो यह है कि प्याज खरीदने में उपभोक्ता के आंसू निकल रहा है। प्याज आज स्टेटस सिंबल बन गया है। एक खबर के मुताबिक प्याज बेचकर एक व्यापारी ने भोपाल में कार खरीद ली है। जय हो प्याज की महिमा काश मई व जून में मुझे भी सदबुद्धि आ जाती और एक—दो बोरा प्याज खरीद लेता, इसका फायदा अब उठाता एक आध किलों प्याज आफिस ले जाता और आफर के साथ बेचता तो 40—50 रूपये का मुनाफा इस मानसून में हो जाता। रेनकोर्ट, आम्ब्रेला खरीदने में काम आता।