बोर्ड परीक्षाओं के मूल्यांकन और प्रतियोगी परीक्षा के मूल्यांकन में क्या अंतर है?
What is the difference between evaluation of board exams and evaluation of competitive exams?
CBSE board evolution and competitive examination evolution
what is the meaning of the education इंसान में नैतिक गुणों का विकास शिक्षा के माध्यम से होता है। इसके अलावा व्यवसायिक दक्षता भी शिक्षा के माध्यम से प्राप्त होती है। बोर्ड परीक्षाओं की अपनी मूल्यांकन पद्धति है जो राष्ट्रीय शिक्षा नीति के अनुरूप है। scheme CBSE board UP Board
बोर्ड परीक्षाओं का पाठ्यक्रम पाठ्यपुस्तक तक सीमित रहता है। यदि कोई छात्र प्रत्येक विषय के पाठ्यक्रम को अच्छी तरीके से समझता है और उसे आत्मसात कर लेता है, इसके साथ ही प्रश्नपत्र प्रारूप को समझ लेता है तो निश्चित ही परीक्षा में उसका प्रदर्शन सर्वश्रेष्ठ होगा और उसे 100% अंक प्राप्त हो सकता है।
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परीक्षा-प्रारूप और पाठ्यक्रम-प्रारूप के अनुसार प्रश्नों के उत्तर का चरणबद्ध तरीके से मूल्यांकन किया जाता है। किसी भी प्रतियोगिता-परीक्षा के विषय के उत्तर के मूल्यांकन का तरीका और किसी बोर्ड परीक्षा के मूल्यांकन तरीका दोनों में जमीन-आसमान का अंतर होता है।
बोर्ड परीक्षाओं के मूल्यांकन का आधार शिक्षा-नीति के अनुसार निर्धारित होती है। दिए गए सीमित पाठ्यक्रम के प्रश्नों के उत्तर के अनुसार। छात्र को समझने बोलने और लिखने की समस्या पर आधारित मूल्यांकन पद्धति होती है इसलिए यहां मूल्यांकन पद्धति में थोड़ा लचीलापन होता है। हर प्रश्न के उत्तर के मूल्यांकन के कई चरण होते हैं। वर्तनी और व्याकरण के दोषों पर बार-बार अंक नहीं काटे जा सकते हैं।
छात्र केवल सीमित पाठ्यक्रम और परीक्षा पैटर्न के प्रारूप तक ही सीमित न रह जाए इसलिए नयी शिक्षा नीति में एक्टिविटी और प्रैक्टिकल को भी मूल्यांकन का आधार बनाया गया है ताकि उच्च शिक्षा के लिए छात्र विभिन्न विषयों में शोध करने वाली क्षमता ग्रहण सके इसलिए इस ओर भी ध्यान दिया गया।
इस माध्यम से शोध कार्य को बढ़ावा देने और उनमें सोचने-समझने व तर्क करने की क्षमता का विकास इस माध्यम से होता है। इसके अलावा विभिन्न तरह की गतिविधियों के माध्यम से सामाजिक कुशलता, व्यवहार कुशलता, अनुशासन के साथ दूसरे मानवीय गुणों का विकास होता है।
यह सब विभिन्न तरह की क्रियाविधि के माध्यम से शिक्षण-अधिगम के अंतर्गत सिखाया जाता है।
इसलिए बोर्ड परीक्षाओं के पाठ्यक्रम प्रारूप और शिक्षा देने की नीति विस्तृत और देश को अपने साथ लिए हुए हैं ताकि विभिन्न क्षेत्रों में अलग-अलग व्यवसायिक दक्षता वाले व्यक्ति मिल सके। इसके अलावा एक समृद्धशील नागरिक भी प्राप्त हो सके इस ओर ध्यान दिया गया है।