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जिस तरह से टेट मेरिट से चयन के प्रति सरकार की हीलाहवाली चर रही है तो 
उससे एक बात साफ है कि कोर्ट के हस्‍तक्षेप के बाद सरकार को जल्‍द ही चयन 
होगा। दीगर बात यह कि शिक्षा जैसे गंभीर मुददे में सरकार एक सही निर्णय नहीं 
ले पा रही है जबकि आज हम गांवों में प्राथमिक विद्‍यालय की हालत देख सकते
है। सर्वशिक्षा अभिया अशातित सफलता नहीं हासिल कर पा रहीं है। शायद इसका कारण
हमारे पास सर्वविदित है कि पढाई का स्‍तर आज गिरा है। जिस  तेजी से हमारी दुनिया
बदल रही है उस तेजी से प्राथमिक विद्‍यालय में गुणवत्‍तायुक्‍त शिक्षा की बात 
नहीं हो रही है। अभी टीचरों की भरती के स्‍पष्‍ट मानक नहीं है। ऐकमेडिक के द्‍वारा चयन 
का मानक आज अपनी प्रासंगीकता पर स्‍वयं ही प्रश्‍न पूछ रहा है। नकल एक बडी समस्‍या है
और इसी नकल के वातावरण से अगर हम एकेडमिक मेरिट से टीचर चुन रहे हैं तो निश्‍चित 
ही हम बच्‍चों के भविष्‍य के साथ खिलवाड कर रहे है। यहा एक बात है कि कंपटीशन या टीईटी मेरिट
से चयन सर्वोत्‍तम है लेकिन सरकार यह विकासवादी निर्णय लेने में समय लगा रही है। 
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