कैसी है तुम्हारी भाषा
सबसे बड़ी भाषा
संकेत की भाषा
मूक होकर विरोध या सहमति की भाषा
नहीं है कोई व्याकरण, न ध्वनि है
प्रेम, दया व करुणा की भाषा की।
​बदल दिया जिसने अशोक को
तुम क्यों नहीं बदले अह्म।
तुम्हें पसंद नहीं रोते मासूमों की भाषा
तुम्हें पसंद नहीं करुण पुकार की भाषा
नहीं है क्या पसंद मिट्टी से उगते पौधे की भाषा।
क्रंक्रीट सा मन तुम्हारा
पसंद है तुम्हें खट खट की भाषा
पसंद है तुम्हें टूटती सड़कों, गिरते पुल की ध्वनि
तुम्हें पसंद है मेहनतकश हडि्डयों की चरचराने की भाषा
तुम्हें तो पसंद है नोट फड़फड़ी तिंजोरी में बंद आवाजें।
माना तुम्हारी भाषा संस्कार नहीं
पर तुम तो आदिम भी नहीं
उनके पास भी थी एक सरल भाषा
वे महसूस कर लेते थे इंसानियत
बचा लेते थे अपने जैसे इंसानो को
पर तुम तो अपने पूर्वजों से हो अलग
तुम्हारी भाषा व तुम्हारी परिभाषा
बांटती है इंसानों को
और तुम विजेता बन
गढ़ लेते हो एक नया व्याकरण
हर बार तुम नकार देते हो इंसानियत की भाषा।
सर्वाधिकार सुरक्षित
अभिषेक कांत पाण्डेय
8 अक्टूबर, 2017
See also  पानी से चलने वाली बाइक

Leave a Comment

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Scroll to Top