सरकारी सहायता से करें फूड प्रोसेसिंग का स्वारोजगार

सेल्फ एंप्लॉयमेंट
अभिषेक कांत पाण्डेय

फूड प्रोसेसिग आज के समय की मांग है, खाद्य पदार्थों की पैकिंग कर उन्हें आकार्षक ढंग से पेश करने का यह स्वारोजगार आपके लिए बेहतर विकल्प हो सकता है। इस रोजगार को अपनाने के लिए फूड प्रोसेसिंग की तकनीक के बारे में जानकारी होना जरूरी है। अगर आप इस रोजगार को करना चाहते हैं तो पूरे मन से जुट जाइए, आपकी काबिलियत, सरकारी सहायता और बाजार में पैकिंग फूड की बढ़ती मांग आपको कामयाबी जरूरी दिलाएगी।
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फूड प्रोसेसिंग के लिए आप कई तरह के खाद्य पदार्थों को चुन सकते हैं, इसके लिए आप चाहे तो आचार, मुरब्बा, चाय, आटा, चावल, दाल, चना, मसाले, चीनी, खाद्य तेल, घी, सब्जियां, डेयरी उत्पाद आदि अपनी सुविधा के अनुसार इन पदाथ्रों की पैकेजिंग कर सकते हैं। इस क्षेत्र में कम निवेश और बेहतर कारोबारी सहायता के जरिए एक नया मुकाम बना सकते हैं, जिसके लिए खाद्य प्रसंस्करण उद्योग मंत्रालय कई सारी योजनाएं चला रही है। इसके तहत नई इकाई लगाने, मौजूदा इकाई का आधुनिकीकरण करने, तकनीकी सहायता आदि के लिए मदद मिल रही है।

फूड प्रोसेसिग क्या है

फूड प्रोसेसिग इंडस्ट्री काफी बड़ा क्षेत्र है। इसमें खाद्य सामग्री और पेय पदार्थों को प्रोसेस करके रखा जाता है। फूड प्रोसेसिग एक तरह की टेक्नोलॉजी है। इस क्षेत्र में कॅरिअर बनाने से पहले आपको फूड टेक्नोलॉजी में टàेनिंग की आवश्यकता पड़ेगी।

योग्यता
फूड प्रोसेसिग में डिप्लोमा, सर्टिफिकेट कोर्सेज के अलावा डिग्री भी प्राप्त की जा सकती है। इस क्षेत्र से स्नातक डिग्री में प्रवेश पाने के लिए केमिस्ट्री, फिजिक्स, मैथमेटिक्स या बायोलॉजी आदि विषयों में 12वीं में कम से कम 5० प्रतिशत अंक जरूरी हैं। एमएससी कोर्स करने के लिए फूड टेक्नोलॉजी से संबंधित विषयों में स्नातक की डिग्री आवश्यक है।

खर्च

फूड प्रोसेसिग का काम करीब एक लाख रुपये से शुरू किया जा सकता है।

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कच्चा माल
फूड प्रोसेसिग दो से तीन स्तरों पर चलने वाला स्वरोजगार है। आप अपने सामथ्र्य के अनुसार इसे शुरू कर सकते हैं। इसमें जैविक फसलें उगाना, जैविक फूड तैयार करना और उसे बाजार में उतारना आदि भी शामिल है। अगर आप केवल फूड प्रोसेसिग का काम शुरू करते हैं तो कच्चा माल जैविक फसले उगाने वाले किसानों से खरीद सकते हैं।

बिक्री
आप तैयार माल को बाजार में सीधे उतारने के अलावा एजेंट्स के जरिए भी बिक्री कर सकते हैं खादी और ग्रामोद्योग आयोग से प्रशिक्षण लेने वाले अगर लोन लेकर काम शुरू करते हैं तो खादी के बिक्री संस्थान तब तक आपका माल खरीदने की जिम्मेदारी उठाएंगे, जब तक कि आप लोन नहीं चुका देते।

आमदनी
एक लाख की लागत से प्रतिमाह 1० से 3० हजार रुपये तक कमाए जा सकते हैं। आमदनी आपके द्बारा तैयार माल, उसकी पैकिग और मार्केटिग पर भी निर्भर करती है।

स्वारोजगार शुरू करने के लिए मिलती है सहायता
वैसे तो किसी भी तरह के स्वरोजगार को शुरू करने के लिए आप प्राइवेट और विभिन्न सरकारी योजनाओं के तहत ऋण ले सकते हैं, लेकिन अगर आपने खादी और ग्रामोद्योग आयोग से प्रशिक्षण लिया है तो आप इस संस्थान से भी ऋण के लिए आवेदन कर सकते हैं। यहां से प्रशिक्षण लेने वाले पच्चीस हजार से पच्चीस लाख तक का लोन ले सकते हैं। इसके लिए नजदीकी बैंक से संपर्क करना होगा। छोटे कारोबारियों के लिए भारतीय लघु उद्योग विकास बैंक (सिडबी) को नोडल एजेंसी के रूप में नियुक्त किया गया है, जिसके जरिए पात्र इकाई को बैंकों को डायरेक्ट क्रेडिट स्कीम का भी लाभ मिलता है। ऐसे में कारोबारी सीधे सिडबी के कार्यालय से योजना के संबंध में जानकारी लेकर, आगे की कार्यवाही कर सकते हैं, जिसे करने के लिए सिडबी की तरफ से भी जरूरी सहायता दी जाती है।

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खाद्य प्रसंस्करण मंत्रालय द्बारा दिया जाता है प्रशिक्षण

खाद्य प्रसंस्करण मंत्रालय नई दिल्ली द्बारा 3० दिवसीय उद्यमिता विकास कार्यक्रम खाद्य प्रसंस्करण पर आधारित ईडीपी प्रशिक्षण कार्यक्रम समय-समय पर आयोजित किया जाता है। प्रशिक्षण कार्यक्रम में बेकरी उत्पाद, फल-सब्जियों का संरक्षण एवं निर्माण आदि का सरल प्रेक्टिकल के माध्यम से प्रशिक्षण दिया जाता है, साथ ही हितग्राहियों को बाजार, सर्वेक्षण, व्यापार, बैंकिग, प्रोजेक्ट रिपोर्ट की जानकारी भी दी जाती है।

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उद्यानिकी एवं खाद्य प्रसंस्करण विभाग मध्य प्रदेश शासन की योजनाएं

उद्यानिकी एवं खाद्य प्रसंस्करण विभाग मध्य प्रदेश शासन द्बारा फूड प्रोसेसिंग में स्वारोजगार अपनाने के लिए कई योजनाएं हैं, जिनमें प्रशिक्षण कार्यक्रम और स्वारोजगार के लिए विभिन्न तरह की सहायता मध्य प्रदेश सरकार द्बारा दी जाती है। खाद्य प्रसंस्करण की अन्य योजनाएं, जिनका लाभ आप उठा सकते हैं-
-खाद्य प्रसंस्करण उद्योगों हेतु प्रचार प्रसार योजना
– खाद्य प्रसंस्करण उद्योगों के लिए उद्यमिता विकास कार्यक्रम
-कृषि निर्यात क्षेत्रों में कृषि उत्पादों के निर्यातों के परिवहन व्यय की प्रतिपूर्ति योजना
-उद्योग संवर्धन नीति अनुसार खाद्य प्रसंस्करण उद्योगों के विकास की योजना
महिलाओं के लिए फल परिरक्षण प्रशिक्षण केंद्र द्बारा जैम, जैली, मुरब्बा, अचार, चटनी, केचप, सास, शर्बत आदि बनाने का प्रशिक्षण, इंदौर, सागर, होशंगाबाद, उज्जैन, ग्वालियर, भोपाल, जबलपुर एवं रीवा आदि जगहों पर समय-समय पर 15 दिवसीय प्रशिक्षण आयोजित किया जाता है।

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