मोतियाबिंद के रोकथाम में कारगर है नई आई ड्राप चिकित्सा वैज्ञानिकों को मिली सफलता

पूरी दुनिया में मोतियाबिंद रोग के कारण 2० मिलियन इंसान अपनी आंखों की रोशनी खो देते हैं। क्योंकि उनके पास सर्जरी कराने के लिए पैसे नहीं होते हैं, जबकि वर्तमान में मोतियाबिंद का एकमात्र इलाज आंखों की सर्जरी है। यह एक आसान-सी सर्जरी है, जिसके बाद मरीज की आंखों साफ देखने लगती है। वहीं भारत के दूर दराज क्ष्ोत्रों में जहां पर समुचित चिकित्सा व्यवस्था न होने के कारण मोतियाबिंद के ऑपरेशान के बाद भी लोगों की आंखों की रोशनी जाने की घटनाएं भी देखने को मिलती हैं। वहीं डिजिटल युग में कंप्यूटर, मोबाइल पर घंटों समय देने की मजबूरी में भी इंसान की आंखों बुरी तरह थक जाती है, इसके कारण कई तरह की आंखों की बीमारियों के होने की संभावनाएं भी बढ़ जाती है। वहीं आंखों की रोशनी पर भी फर्क पड़ता है, जिसे पावर वाला चश्मा पहन कर इस समस्या से आस्थायी छुटकारा मिल जाता है। आंखों की समस्या से जुझ रहे उन करोड़ों लोगों के लिए ये खबर राहत भरी है जो आंखों की बीमारी के कारण देखने की क्षमता दिनोंदिन खोते जा रहे हैं।
 

 ये ड्राप क्रिस्टेलिएन प्रोटीन को बनाएगा

 चिकित्सा वैज्ञानिकों ने एक ऐसे आई ड्राप को विकसित करने में कामयाबी हासिल कर लिया है, जिसकी एक बूंद मोतियाबिंद होने के कारणों को ही खत्म कर देगी। एक तरह का क्रिस्टेलिएन प्रोटीन जो कोशिकाओं की बड़ी सेल है, जिससे आंखों की लेंस बना है। जब आंखों का ये लेंस कमजोर होता है या कहे ये क्रिस्टेलियन प्रोटीन नष्ट होने लगती है तो मोतियाबिंद होने की संभावाना बढ़ जाती है। आपके बता दें कि मोतियाबिंद के इलाज के लिए कृत्रिम लेंस बनाकर इसे आखों में सर्जरी के दौरान लगाया जाता है। वहीं ये ड्राप बोतियाबिंद के कारणो को ही खत्म कर सकता है क्योंकि इसका असरदार कैमिल तत्व आखों की इस प्रोटीन यानी लेंस को रिपेयर करता है। वैज्ञानिकों ने इसे चूहे की आंखों में डालकर इसका सफल परीक्षण भी किया है। वहीं क्लिनिकल टेस्ट के लिए ये डàाप पूरी तरह से तैयार है।

See also  सवाल पूछना जरूरी है

इस रिसर्च से जुड़े चिकित्सा वैज्ञानिक जेसन गेस्टीविकी जो यूसी फ्रांसिस्को संस्थ में मेडिसीन रसायन विज्ञान के प्रोफेसर है, उन्होंने बताया कि पैदा होने के बाद हमारी आख्ों फाइबर कोशिकाओं की इस प्रोटीन को बनाने और इसे नष्ट करने की क्षमता खो देता है। इस तरह वयस्क होने के बाद प्राकृतिक प्रोटीन से बने इस प्राटीन से आंखों की लेंस को पारदर्शी और लचीला बनाए रखने में परेशानी होती है। इसलिए जिम्मेदार क्रिस्टेलिन प्रोटीन के नष्ट होने से मोतियाबिंद की संभावना बढ़ जाती है।

स्मार्ट टॉयलेट आपके स्वास्थ पर रखेगा नजर

भले ये खबर आपको अजीब लगे लेकिन ये सच है कि नई तकनीक और उच्च सेंसेर क्षमता वाला ये स्मार्ट टॉयलेट आपकी सेहत पर नजर रख्ोगा। जब आप इस टॉयलेट को इस्तेमाल करेंगे तो बीमारी होने पर ये आपको अगाह करेगा।
जापान की एक कंपनी ने इस टॉयलेट को बनाया है। फ्लोस्काई नाम के इस स्मार्ट टॉयलेट की खासियत है कि ये मूत्र के बहाव के दर को माप सकता है। दुनिया के सबसे बड़े टॉयलेट मैन्युफैक्चरर टोटो ने योकोहामा में ‘मी-बायो जापान 2०15 कॉन्फेंस’ के दौरान इस टॉयलेट से दुनिया को रू-ब-रू कराया।
यह टॉयलेट खास तरह के सेंसर्स से लैस है। ये सैंसर्स इस्तेमाल करने वाले के पेशाब के गिरने के समयांतराल के साथ उसकी बहाव और मात्रा को गणनाओं में बदल कर तुरंत एक रीडिंग उपलब्ध कराएगा। जिससे बीमारी होने पर चेतावनी देगा। इस रीडिंग से डॉक्टर्स को इलाज करने में सहूलियत होगी। वहीं जापान की तेजी से बुजुर्ग बढ़ती जनसंख्या के लिए ये स्मार्ट टॉयलेट वरदान साबित होगा।
वहीं कॉन्फेंस में इसके अलावा मिमोसिस नामक स्मार्टफोन एप्लीकेशन का भी प्रदर्शन किया गया। इसका पूरा नाम माइंड मॉनीटरिग सिस्टम है। यह एप्लीकेशन यूजर्स के दिन भर के इमोशन्स और मानसिक स्थिति को वॉइस मेजरमेंट के जरिए ट्रैक कर सकता है। ये तकनीक उन मरीजों के लिए बहुत लाभदायक है जो दूरदराज के इलाकों में रहते हैं। इन मरीजों से दूर बैठा डॉक्टर उनके स्वास्थ्य पर इस एप्लीकेशन के जरिए नजर रख सकता है।

See also  न्यूट्रीशन वाली सब्जियां| Rog se bachane walii sabji

अब इंसान भी उड़ेगा इस मशीन को पहनकर

इंसान उड़ने की ख्वाइश हमेशा से रखता रहा है। लेकिन स्वतंत्र रूप से उड़ने की उसकी कल्पना में वह विशाल पंखों के सहारे उड़ने की कोशिश सदियों से करता आ रहा है। इसी प्रयास की वजह से हवाई जहाज का आविष्कार हुआ। सितारों तक पहुंचने की उसकी महत्वाकांक्षा ने उसे रॉकेट का अविष्कार करने की प्रेरण दी। साइंस फिल्मों में आप ऐसे इंसान को उड़ते देखा होगा जो कंधों पर ऐसी मशीन पहना होता है जो उसे आसमान की सैर कराता है। विज्ञान ने इस कल्पना को अब हकीकत में बदल दिया है। इंसान अब ऐसी मशीन को पहन कर आसमान की उड़ान भर सकता है। इस मशीन का नाम है जेटपैक। इसमें कोई पंख नहीं है बल्कि जेट इंजन है जो टरबिन पावर तकनीक से चलता है। बेहद हल्का है, इसे पीठ पर पहनकर जब इसका इंजन स्टार्ट करते हैं तो आपके पैर धरती को छोड़ हवा में तैरने लगेगा। और अपनी मनपसंद दिशा में इस मशीन को बिल्कुल उसी तरह कंट्रोल कर सकते हैं जैसे किसी बाइक के हैंडिल को इसके बाद 1० मिनट में 1०० मील प्रति घंटे की रफ्तार से उड़ान भर हुए आसमान में होंगे आप। इस मशीन की मदद से अधिकतम दस हजार फिट की ऊंचाई तक आप उड़ सकते हैं। इस मशीन को बनाने में डेविड मेमन और निलसन टेलर की टीम ने पिछले 7० साल से इस पर प्रयोग किया है और अभी भी इसमें और सुधार कर रहे हैं। आखिरकार चार इंजन का ये उड़ने वाली मशीन बनाने में कामयाब हुए और इसका प्रदर्शन भी उन्होंने सफलतापूर्वक किया। उन्होंने जेटपैक पहने एक व्यक्ति को उड़ते हुए एक विडियो भी जारी किया है।

See also  पानी से चलने वाली बाइक

स्मार्ट चश्मे से देख सकेंगे नेत्रहीन

एक ऐसा चश्मा बनाया गया है जिससे नेत्रहीन व्यक्ति भी देख सकते हैं। दरअसल जो लोग देख नहीं सकते हैं उनके लिए ये चश्मा, उन्हें देखने में मदद करेगा। इसके अंदर ऐसी कमाल की तकनीक अपनायी गई है, चश्मा जो कुछ भी देख्ोगा उसका पूरा विवरण ध्वनि में बदल देगा और पहनने वाला व्यक्ति दृश्य के बारे में इसके हेड फोन के माध्यम बताएगा। इस डिवास का नाम है वीओआइसीई जो कि कैमरा लगा एक स्मार्ट कंप्यूटर है, जिसे काले चश्मे से जोड़ा गया है। इसमें लगा कैमरा दायें-बायें की तस्वीरों को स्कैन कर इसके पिक्सल को आवाज में तब्दील करता है। कैलोफोर्निया के सिन्सूके शिमोजो और नोएले स्टाइल्स ने इसे बनाया है।



रोटी बनाने वाला रोबोट

रोबोट हमारी रोजमर्रा की जिदगी का हिस्सा बनते जा रहे हैं। कहीं रोबोटिक वैक्यूम क्लीनर बन गए हैं, जो खुद ही घर साफ कर देते हैं, और अब आ गए है रोटी पकाने वाले रोबोट।
इसे बनाने वाली कंपनी का दावा है कि उनकी मशीन आटा गूंथने से लेकर, लोई बनाने, बेलने और रोटी को सेंकने तक का सारा काम खुद ही कुछ मिनटों में कर लेता है। हालांकि इसके दाम को देख कर लगता नहीं है कि बहुत लोग इसे खरीदेंगे। एक रोटी मेकर के लिए एक हजार डॉलर यानि 65 हजार रुपये तक खर्च करने होंगे।

Leave a Comment

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Scroll to Top