बच्चे सबसे पहले किसी से सीखते हैं तो माँ से, घर ही उनकी पहली पाठशाला होती है और माँ पहली टीचर।
माँ होने का दायित्व आप अच्छे से निभाती हैं तो लाड़ प्यार के बीच बच्चों में सही परवरिश करने की जिम्मेदारी आप पर है। बच्चों के मन को जानना और उसी के अनुरूप उनका पालन-पोषण करना भी जरूरी है।
आइए जानते हैं 5 तरीके जिससे आप अपने बच्चों में डाल सकते हैं अच्छी आदतें
जैसे हर व्यक्ति की अपनी एक अलग सोच और एक अलग व्यवहार होता है ठीक उसी तरह से हर बच्चे का अपना एक अलग स्वभाव होता है। बच्चों का स्वभाव हर आयु वर्ग में अलग-अलग होता है। इसलिए हर एक बच्चे को एक ही नजरिए से देखना ठीक नहीं है यहां पर हम कुछ टिप्स दे रहे हैं जिन्हें आप अपना कर दुनिया की सबसे अच्छी माँ बन सकती है।
1. बच्चे को करें, खूब प्यार और दुलार
3 से 4 साल के बच्चे बहुत ही संवेदनशील होती हैं। चाहे वह बोल कर अपनी इमोशन व्यक्त ना कर सके लेकिन वे आपके हर हाव भाव को बखूबी पढ़ते हैं और समझते हैं। पारिवारिक और अन्य जिम्मेदारियों के कारण हो सकता है कि आप थोड़ा टेंशन में हूं और बच्चों से दूर रहें। लेकिन यही वह समय है जब आपको अपना तनाव भूल कर बच्चे को दुलार करना चाहिए। उसे गले लगाना जो मना और उसे देख कर मुस्कुराना चाहिए और वीरा ऐसा करने से बच्चों से आपका स्नेह और अधिक गहरा होता है वही आपका सारा तनाव भी पल भर में उड़न छू हो जाएगा।
2.बच्चों से दूरी मिटाएँ
5 से 8 साल के आयु वाले बच्चे अक्सर आपसे अथवा किसी अन्य बात पर जिद पकड़ कर नाराज हो जाते हैं तब उसे मनाए उससे दूरी मिटाने की हर संभव कोशिश करें। मनाने और बात करने से वह अपनी जिद छोड़ देंगे और आपसे अपनी बातें शेयर करने लगेंगे और मेरा बच्चा आपसे कुछ बेतुके सवाल पूछे तो उसे ध्यान से सुन कर जवाब दें।
3. जिम्मेदारी से बच्चे को समझाएँ
बच्चा जब समझने लगता है तो वह आपकी हर बात और एक्टिविटी को भी ध्यान से देखता है यही मौका है कि आप उन्हें उनकी आयु वर्ग का ध्यान में रखकर छोटी-छोटी बातों में उसे जिम्मेदारियां भी समझाएँ। जैसे स्कूल जाने वाले बच्चे को टाइम मैनेजमेंट के गुर बताएँ। समय से काम करने का महत्व बताएं। मां होने के नाते आप से बेहतर कौन सिखा सकता है। इस तरह बच्चों में समय का सदुपयोग करना अपनी चीजें निर्धारित स्थान पर रखना स्वयं और आसपास की चीजों को व्यवस्थित करना साफ-सफाई से रहने आदि की बातें धीरे-धीरे लगातार बताती रहें। छोटे बच्चों को यह सब बातें कहानी सुना कर उससे मिलने वाली शिक्षा से समझाना ज्यादा कारगर होगा।
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4.बच्चों का आदर्श बनें
हमारी सबसे बड़ी कमी यह है कि हम बच्चों से तो अच्छा बढ़ने की उम्मीद करते हैं लेकिन स्वयं की कमियों को दूर नहीं करते। बच्चों के लिए आप आदर्श बढ़ने की खुद पहल करें। एक डायरी में नोट करें कि आपकी कौन-कौन-सी बातें और आदतें लोगों को गलत लगती है। अगर आपके लिए अपनी आदतों को बदलना संभव नहीं हो तो कम से कम बच्चों के सामने उन आदतों को ना दोहराएँ पूर्णविराम ना तो बच्चों के सामने झूठ बोले और ना ही बढ़ा चढ़ाकर बातें करें और विराम इसका आपके बच्चे पर सकारात्मक प्रभाव पड़ेगा।
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