पाठ 2
कक्षा 4 सी० बी० एस० ई० बोर्ड के पैटर्न अनुसार kahani
New Education Policy 2020बोलने वाला वृक्ष laghu katha bolane wala ped
पर्यावरण संरक्षण कहानी
लेखक- अभिषेक कांत पांडेय
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पाठ की बात… laghu katha
वृक्ष हमें शुद्ध हवा और हरियाली देते हैं। वृक्ष में भी जीवन होता है। ये प्रकृति के मित्र हैं। वृक्षों की रक्षा करना हमारा कर्तव्य है, हमें अधिक से अधिक वृक्ष लगाने है और धरती को प्रदूषणमुक्त बनाना है।
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नींम का वृक्ष बहुत उदास था। वह अपने कॉलोनी का आखिरी वृक्ष था। दूर-दूर तक ऊँची इमारतें बन गई थीं। नींम के वृक्ष के मित्र मनुष्य के स्वार्थ की भेंट चढ़ गए थे। पाँच वर्ष पहले नींम अकेले नहीं था। उसके चार कदम की दूरी पर आम का वृक्ष था। बगल वाले मोड़ पर पीपल का वृक्ष शान से खड़ा रहता था। उस कॉलोनी में कई वृक्ष थे। हर गली की पहचान उन्हीं वृक्षों से होती थी। अब उसके अलावा कॉलोनी में कोई वृक्ष बचा ही नहीं था। laghu katha
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सोचकर बताएँ– क्या आपके गली-मोहल्ले की पहचान किसी वृक्ष के नाम से है? जैसे नींम वाली गली, पीपल के किनारे वाली सड़क इत्यादि।
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पाँच वर्ष पूर्व अचानक आसपास की ज़मीनें बिकनी शुरू हुईं। खेती की सारी ज़मीनें बिक गई थीं। इन ज़मीनों पर इमारतें, दुकानें, विद्यालय, उद्यान, अस्पताल बन गए थे। कॉलोनी में नींम का अकेला वृक्ष था। वह उदास रहता था। उसके साथ बोलने वाला कोई नहीं था।
उसी कॉलोनी में नौ वर्ष का राजू अपने माता-पिता के साथ रहने के लिए आया था। एक दिन राजू खेलते-खेलते नींम के वृक्ष के पास बैठता है। पेड़ की छाया और ठंडी-ठंडी हवा उसकी थकान मिटा देती है। फिर राजू वृक्ष की छाँव के नीचे खेलने लगता है। अचानक उसे कहराने की आवाज़ सुनाई दी। उसने इधर-उधर देखा, कोई दिखाई नहीं दिया। राजू फिर खेलने लगता है। उसे फिर आवाज़ सुनाई दी। राजू ने ध्यान से आवाज़ सुनी। उसका माथा ठनका। उसने पेड़ की ओर ध्यान से देखा। वह आश्चर्य में पड़ गया। यह क्या! नींम का वृक्ष बोल रहा है-
राजू बेटा! तुम घबराओ नहीं, मैं तुम्हारे दादा जी की तरह हूँ।
राजू ने डर से काँपते हुए कहा, ” मुझे माफ करना, मैं आपको अब परेशान नहीं करूँगा।” यह सुनकर नींम हँसने लगा।
नींम ने कहा, “क्या तुम प्रतिदिन यहाँ पर मेरे साथ खेलने के लिए आओगे?”
राजू का डर अब खत्म हो गया। प्रतिदिन आने के लिए राजू ने नींम से वादा किया।
राजू हर दिन नींम के पास आता और खूब खेलता था। नींम ने राजू को कई कहानियाँ भी सुनाईं। राजू प्रसन्न रहने लगा। राजू नजदीक के विद्यालय में पढ़ने भी जाता था। विद्यालय की सारी बातें वह नींम से बताता था। नींम और राजू आपस में खेलते, हँसते और बतियातें।
महीनों गुजर गएँ। आज नींम बहुत उदास था। राजू ने कारण पूछा। नींम ने बताया कि इस ज़मीन का मालिक यहाँ पर मकान बनवाना चाहता है। वह मुझे काटना चाहता है। ये बातें सुनकर राजू बहुत दुखी हो गया। उसने नींम से कहा कि तुम चिंता मत करो। मैं आपको बचाऊँगा। राजू की बातें सुनकर नींम ने कहा, “राजू, तुम तो बहुत छोटे हो। तुम्हारी कौन सुनेगा? यहाँ कई वृक्ष थे। सभी वृक्षों को एक-एक करके काट दिए गए। अब ये इंसान मुझे भी काटना चाहते हैं।”
इतना कहने के बाद नींम चुप हो गया। राजू वहाँ से लौटकर अपने घर आया। उसने अपनी माँ से सारी बातें बताईं। माँ! नींम का वृक्ष बोलता है। वह रोज़ मुझसे बातें करता है। यह सुनकर माँ को विश्वास नहीं हुआ। राजू ने माँ से बताया कि उस वृक्ष को भी काट दिया जाएगा। राजू उदास हो गया। उसकी माँ ने कहा कि यदि तुम चाहोगे तो उस वृक्ष को कोई नहीं काट सकता है। लेकिन तुम्हें सभी को दिखाना और सुनाना पड़ेगा कि वह वृक्ष बोलता है। तब ज़मीन का मालिक उस वृक्ष को नहीं काटेगा। L(katha bolane wala ped)
राजू रातभर सोचता रहा। उसने एक युक्ति सोची। वह खुशी से उछल पड़ा!
अगली सुबह वह वृक्ष के पास पहुँचा। वृक्ष को सारी बातें बताईं और कहा, उन्हें सबके सामने बोलना है, अपनी बात कहेंगे तो ज़मीन के मालिक को अपनी ग़लती का एहसास होगा।
नींम इस बात पर सहमत हो गया।
अगले दिन राजू ने अपनी माँ की सहायता से वहाँ रहने वाले सभी लोगों को इकट्ठा कर लिया। सभी लोग उत्सुक थे। यह जानने के लिए कि कोई पेड़ क्या सचमुच में बोलता है! जमीन के मालिक को भी यह सूचना मिली और वह भी वहाँ चला आया। भीड़ इकट्ठी हो गई। राजू ने कहा, “यह नींम का पेड़ मेरे दादाजी के समान है। मैं प्रतिदिन इनसे कहानियाँ सुनता हूँ और ज्ञान की बातें भी सीखता हूँ। राजू की बातें सुनकर वहाँ उपस्थित सभी लोग जोर-जोर से हँसने लगें। राजू थोडा़ भी घबराया नहीं। राजू ने ज़मीन के मालिक से कहा कि इस पेड़ को मत काटो।
ज़मीन का मालिक हँसकर कहने लगा, “यदि मैं इस पेड़ को नहीं काटूँगा तो लोग को घर कैसे बनाकर दूँगा।”
तब राजू ने कहा कि क्या आप एक जिंदा पेड़ को काटेंगे। यह पेड़ हमें स्वच्छ वायु देता है। इस तरह के कई वृक्षों को यहाँ से काटकर हटा दिया गया। इस मोहल्ले में केवल एक बोलता एक वृक्ष ही बचा है। क्या हम सबकी जिम्मेदारी नहीं है कि इस वृक्ष की रक्षा करें।
यह बात सुनकर सभी लोग नींम की तरफ देखने लगें। एक व्यक्ति ने कहा कि हम कैसे मान लें कि यह वृक्ष बोलता है। दूसरे व्यक्ति ने कहा कि यदि यह वृक्ष बोलकर दिखाए तो हम इसे नहीं काटेंगे। अब सभी लोग को प्रमाण चाहिए कि वृक्ष बोलता है कि नहीं।
राजू वृक्ष के सामने खड़ा हो गया और कहने लगा, ” नींम दादा बोलिए न! अगर आप नहीं बोलेंगे तो इन लोग को विश्वास नहीं होगा। फिर पेड़ों की रक्षा कैसे होगी!”
सभी लोग वृक्ष की तरफ आश्चर्य से देखने लगे। वृक्ष जो़र-जो़र से रोने लगा। वृक्ष की आवाज़ सुनकर सभी डर गएँ। अब सभी को विश्वास हो गया कि वृक्ष भी बोलते हैं, उनकी भी भावनाएँ होती हैं। ज़मीन के मालिक का दिल पसीज गया। उसने राजू से कहा, “तुमने हमारी आँखें खोल दी। तुम एक अच्छे बच्चे हो। आज से हम लोग भी वृक्ष लगाएँगे। वृक्ष को काटेंगे नहीं, वृक्ष की सुरक्षा को ध्यान में रखकर ही मकान बनाएँगे।”
सभी लोग ने राजू की तारीफ़ की। कॉलोनी के लोग अब पेड़-पौधों के महत्व को जानने लगे थे। कॉलोनी में सैकड़ों पेड़-पौधे रोपे गएँ। वहाँ पर फिर से हरियाली लौट आई। राजू और नींम दोनों प्रसन्न हैं। आज भी राजू उस नींम के वृक्ष से बातें करता है।
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सोचकर बताएँ– राजू ने वृक्ष को क्यों बचाया?
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आओ अर्थ जानें-
पूर्व- पहले, आगे
पूर्व एक दिशा का नाम भी है। चार दिशाएँ, पूर्व, पश्चिम, उत्तर और दक्षिण
उद्यान- पार्क
प्रतिदिन- हर रोज़
एहसास होना- महसूस होना
प्रमाण- सबूत, साक्ष्य
युक्ति- उपाय, तरकीब़
मुहावरा-
भेंट चढ़ाना- कुर्बानी देना
माथा ठनकना- अहित होने की आशंका
दिल पसीजना- उदारता, दया, स्नेह आदि का भाव आना।
अब बताने की बारी-
पाठ की समझ
प्रश्नों के उत्तर बोलकर बताइए-
क. नींम का क्यों उदास था?
ख. खेती की सारी जमीनें क्यों बेच दी गई?
ग. राजू की बात सुनकर लोग क्यों हँसने लगे?
घ. राजू ने वृक्ष को कटने से कैसे बचाया?
प्रश्नों के उत्तर वाक्यों में लिखें-
क. जमीन के मालिक का दिल क्यों पसीज गया?
ख. राजू की माँ ने वृक्ष को बचाने के लिए क्या उपाय सुझाया?
ग. कहानी के अंत में राजू और नींम क्यों प्रसन्न थे?
किसने कहा?
क. ” मुझे माफ करना, मैं आपको अब परेशान नहीं करूँगा।”
ख. “यदि मैं इस वृक्ष को नहीं काटूँगा तो लोग को घर कैसे बनाकर दूँगा।”
आओ विचार करें-
क. हमें वृक्षों की रक्षा क्यों करनी चाहिए?
ख. घर के आस-पास वृक्ष होना क्यों जरूरी है?
भाषा ज्ञान-
क. किसी व्यक्ति, वस्तु, स्थान या भाव के नाम को संज्ञा कहते है।
यहाँ दिए गए शब्दों में से संज्ञा शब्द छाँटकर अलग लिखें-
आज, तरफ, राजू, तुमने, हँसना, पीपल, वृक्ष, दोनों, सीखता
ख. इन शब्दों के दो-दो पर्यायवाची शब्द लिखें-
वृक्ष
वायु
रात
दया
ग. पाठ में आए हुए मुहावरे को खोजकर लिखें और वाक्य बनाओ।
आओ कुछ अलग करें-
क. अपने घर के आस-पास के मनपसंद पेड़ों की लिस्ट बनाएँ। उनके बारे में जानकारी इकट्ठा करके दस वाक्य लिखें।
ख. वृक्ष बचाने के लिए और जागरूक करने के लिए सुंदर वाक्यों में दो स्लोगन लिखें।
ग. वृक्ष के महत्व को बताने के लिए एक रंगीन चित्र बनाओ।
घ. तुमने कुछ कहानियाँ अपनी माँ, नानी और दादी से ज़रूर सुनी होगी। कोई एक कहानी अपनी कक्षा में सुनाओ।
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