फादर डे

फादर डे

मैं जब भी देखता तो
उसके पिताजी बड़े दिखते
और मेरे पिताजी छोटे
पिताजी ने हमें नाम दिया
और उनके पिताजी ने उन्हें काम दिया
वे वंशों वाले पिताजी हैं उनके।
हमारे पिताजी मेहनतकश है।
हमें मोमबत्ती में पढ़ाया
इंसान बनाया।
उनके पिताजी ने उन्हें ताज पहनाया
चुनाव जीतवाया,
हम हमारे पिताजी से कहते कि
हमें कितना परिश्रम करना है
हमारे पिताजी कहते तुम तुम हो
सबसे अलग हो
तुम ही बदल सकते हो दुनिया।
मेरी बात समझ में है
मेरे पिताजी ठीक कहते हैं
उनके पिताजी उनके लिए चांदी के चम्मच बने।
फिर भी मैं सोचता वंशों की बैशाखी पर
उनके पिता ने बैठाया क्यों अपने बेटे को।
मेरे पिताजी इंतजार कर रहे
माली की तरह,
बेटा-
वंशों वाले बेटाओं से लड़ रहा है
उनके पिताओं से और उनके बेटों से
जिन्होंने लोकतंत्र को ढाल बनाया
मैं और मेरे पिता, हम
एक नई खोज में एक नये विचारों में
चिंगारी पैदा कर रहें
उनके पिता और बेटों के खिलाफ।

अभिषेक कांत पाण्डेय

See also  घोड़े के नाल से जुड़ी धारणाएं

Leave a Comment

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Scroll to Top