प्रखर चेतना। मध्यप्रदेश। संविदा शिक्षक की परेशानी और हल किस्तों में मिला। सरकार से उम्मीद लगाए बैठे संविदा शिक्षकों की झोली में समान कार्य के लिए समान वेतन किस्त में मिलेंगे। संविदा शिक्षक की मांग यह भी है कि नई स्थनांतरण नीति लागू होनी चाहिए लेकिन सरकार इस मसले पर कोई फैसला अभी तक नहीं लिया। मंहगाई में घर चलाना मुश्किल है। अब संविदा शिक्षक आंदोलन के मूड में है। वही मध्यप्रदेश में कई सर्वे फिर से बीजेपी को कमान संभालने वाली बता रही है। ऐसे में असंतुष्ट शिक्षक कहीं बाजी पलट न दें। सरकार को कोई ठोस कदम उठाना होगा नहीं तो परिणाम बदलते देर नहीं लगेगी। संविदा शिक्षकों का कहना है कि हम कई सालों से इंतजार कर रहे हैं ऐसे में सरकार की नीति हमारे प्रति स्पष्ट नहीं है और हम आंदोलन करने के लिए बाध्य हैं। देखा जाए तो सूबे में संविदा शिक्षक नियमित शिक्षक के बराबर कार्य करते है लेकिन वेतन व सुविधाओं के मामले में इनके साथ दोयम दर्जे की नीति बनाई जा रही है। आरटीआई कानून लागू होने के बाद शिक्षकों को वेतन भत्ते में परिवर्तन करना जरूरी है। वहीं देखा जाए तो छत्तीसगढ़, उत्तरप्रदेश, मध्यप्रदेश, हरियाणा जैसे राज्यों में संवदिा के नाम पर शिक्षकों को वेतन कम दिया जाता है जिससे इन्हें घर चलाना मुश्किल होता है। कई बार यह समस्या केंद्र सरकारक के समझा उठायी गई लेकिन कोई पहल नहीं हुई। लोकसभी चुनाव होने वाले हैं और संविदा शिक्षकों की मांग तेजी पकड़ रही है। ऐसे में राज्य सरकार को कोई ठोस पहल करनी होगी।