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महाकुम्भ प्रयाग आपको बुला रहा है …

कुम्भ मेले की तैयारिया लगभग पूरी हो चुकी है। संगम तट पर सुंदर नगर बस चूका है बस आपके आने का इंतज़ार है। देखा जाये तो कुम्भ मेल आस्था व संस्कृति का प्रतीक है। प्राचीन समय से लोग अपनी सांस्कृतिक  आदान प्रदान के लिए इस मेले में विद्वान जन आते रहे है और आम जन को अपनी ज्ञान रुपी सरस्वती से तरते रहे है। संगम नदियों के साथ ज्ञान, आस्था के साथ धर्म एवं संस्कृति का भी है। पवन गंगा, यमुना के साथ अदृश रुपी सरस्वती हमारी जीवन की आस्था, विश्वाश है। हम अपनी भारती संस्कृति पर इसलिए गर्व करते है। हमारी हर चेतना में गंगा और प्रयाग है। इस महत्मय  नगरी में जैसे देवता विचरण करने लगते है। कुम्भ कलश की कुछ बूंदें हमें जीवन रुपी उर्जा प्रदान कर रही है। हिंदुस्तानी संस्कृति यानि भारतीय और इंडिया का मेल है कुम्भ मेला हमारी उर्जा की पहचान है। देश विदेश से सैलानी व श्रद्धालु अपनी जिज्ञाषा को  शांत करने के लिए इस मेले में आते है। यह परम्परा आज आधुनिकता और तकनीकी के युग में लोगो को सोचने में मजबूर कर देती है। 

अल्लाहाबाद से इलाहबाद और अपने प्राचीन गौरव प्रयाग सभी धर्म और  आस्था के साथ सांस्कृतिक रूप से समृद्धशाली भारत की एकता स्थापित करने के लिए आप सभी जनो को बुला रहा है। आशा है की आप भी अपने जीवन के सौभाग्शाली समय के साक्षी रहेंगे। महाकुम्भ प्रयाग आपको बुला रहा है …
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