भक्तिकालीन कवि की कविता का उद्देश्य क्या था? सूरदास, तुलसीदास, नामदेव, कबीरदास, रैदास, गुरु नानक, दादू , पलटू दास, मलूक दास भक्तिकालीन कवि में। भक्तिकालीन कवि की कविता का क्या उद्देश्य था आइए इस पर थोड़ा सा चर्चा करते हैं, (Bhaktikalin Kavi) ज्ञानमार्गी शाखा (Gyanmargi) के कवि हैं।
कोई समाज तभी स्वस्थ होता है, जब वहां पर जागरूकता एवं वैज्ञानिक दृष्टिकोण होता है। भक्तिकालीन कवियों ने अपने वैज्ञानिक दृष्टिकोण से समाज को जागरूक करने का प्रयास किया है।
सगुण ईश्वर उपासक
इसके साथ ही सगुण ईश्वर के उपासक तुलसीदास, मीराबाई, सूरदास जी ने भी सामाजिक कुरीतियों को मिटाने का काम अपने काव्य रचनाओं से भी किया। उस समय के सही सामाजिक वातावरण को अपनी रचनाओं में स्थान दिया।
प्रेम और मानवीय मूल्यों की पराकाष्ठा को स्थापित कर इंसानों में नैतिकता के विकास पर बल दिया। रामचरितमानस महाकाव्य के माध्यम से राम के चरित्र के माध्यम से मर्यादा को स्थापित किया।
सूरदास भक्ति प्रेम के अलग कवि हैं, जिनकी सूक्ष्म दृष्टि भक्ति प्रेम व मानव प्रेम की सीख देता है।
भक्ति कालीन कवि और उनकी कविता: मीराबाई का त्याग और समर्पण और जिस तरह से उनका राजघराने में विरोध होता था, उससे वे अलग स्वयं को ईश्वर के प्रति समर्पित करने वाली कवयित्री उस समय के अंधविश्वास और कुरीतियों के खिलाफ हमेशा खड़ी रही हैं।
भक्तिकाल के कवियों की रचनाएँ?
भक्ति काल कवि | रचनाएँ |
तुलसीदास | |
कबीर | |
सूरदास |
काव्य के भेद कितने हैं: प्रबंधकाव्य किसे कहते हैं
FAQ bhaktikaleen kavi in hindi
1. ज्ञानमार्गी या सन्त-काव्यधारा
2. प्रेममार्गी या सूफी-काव्यधारा
3. रामभक्ति-काव्यधारा
4.कृष्णभक्ति-काव्यधारा
सूरदास, तुलसीदास, नामदेव, कबीर दास, रैदास, गुरु नानक, दादू , पलटू दास, मलूक दास भक्तिकालीन कवि।
कबीर और तुलसीदास
कबीर के रचना का नाम बीजक और तुलसी की रामचरितमानस
tulsidas तुलसीदास राम की भक्ति और सूरदास श्रीकृष्ण की भक्ति करते थे, सगुण भक्ति के कवि हैं.
कबीर, दादू, मलूक दास