(स्वतंत्र टिप्पणीकार)
जिस संसदीय क्षेत्र में नोटा यदि विजयी हो जाए तो चुनाव आयोग को उस संसदीय क्षेत्र में लड़ने वाले प्रत्येक उम्मीदवारों की उम्मीदवारी आजीवन प्रतिबंधित कर देना चाहिए। इससे यह साबित होगा कि नोटा दबाने वालों ने उन प्रत्येक उम्मीदवारों को पसंद ही नहीं किया, जो चुनाव में सम्मिलित हुए थे।
उम्मीदवार के रूप में अगर नोटा को इतनी शक्ति प्रदान कर दी जाए तो 100% मतदान भी हो सकता है।
इसका परिणाम यह होगा कि चुनाव में प्रत्येक पार्टी ऐसे उम्मीदवारों को टिकट देने के लिए बाध्य होगी, जो व्यक्तित्व में उत्कृष्ट होने के साथ ही साथ पढ़े लिखे एवं किसी भी आपराधिक प्रवृत्ति में संलिप्त न हो( स्वच्छ छवि का व्यक्तित्व)। अत: ऐसे व्यक्तियों को पार्टी उम्मीदवार बनाएगी। इस प्रकार चुनाव सुधार की गाड़ी में यह बड़ा लक्ष्य साबित होगा कि उम्मीदवारों के चयन में विद्वान एवं चारित्रिक व्यक्ति ही आएंगे।
इसलिए कहता हूं कि जब आनेवाली पूरी पीढ़ी हमसे यह पूछेगी कि राजनीतिक सुधार के लिए आप क्या कर रहे थे?
तब हम गर्व से यह कहेंगे कि हम तो ‘नोटा’ दबा रहे थे और सही उम्मीदवार के चयन के लिए दबाव बना रहे थे।
राजनीतिक दलो को यह समझना होगा कि करोड़ों रुपए का चंदा देने वाला नेता ही सफल उम्मीदवार नहीं हो सकता है, अब वह चुनाव हार जाएगा।
मनोहर परिकर, लाल बहादुर शास्त्री जैसे नेताओं की आवश्यकता है, जिसे देखकर प्रशासन के अधिकारी भी भ्रष्टाचार करने से पहले हजार बार सोचें।
उज्जवल छवि, कर्मठ-नेतृत्व वाले युवाओं को विद्यालय तैयार करेगा, जो भविष्य के लोकतांत्रिक व्यवस्था में उम्मीदवार होंगे।
आज की स्थिति यह है कि किसी अमुक क्षेत्र का चर्चित व्यक्ति यदि उसमें समाज सेवा एवं त्याग की भावना नहीं है लेकिन अपने चर्चित व्यक्तित्व के कारण उसे राजनीतिक दल जिताऊ उम्मीदवार के तौर पर या भीड़ खिंचाऊं उम्मीदवार तौर पर उम्मीदवार बनाती है। उदाहरणार्थ फिल्म जगत से आया कोई अभिनेता-अभिनेत्री या कलाकार- गायक। खेल जगत से आया हुआ कोई खिलाड़ी, जिसे राजनीति की समझ ही नहीं है।
इसी प्रकार अपराधिक छवि से निकले हुए तमाम ऐसे लोग नेता बन गए जिन्होंने कई जघन्य अपराध किए हैं। इस लोकतंत्र के पावन मंदिर को अपवित्र कर रहे हैं। इसलिए ‘नोटा’ दबाकर आप यह साबित करिए वर्तमान राजनीति की चाल-चरित्र-चेहरा को बदलना है। ‘नोटा-दान’ मायने भी मतदान होता है।